Senior Citizens Commission : केरल देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण, संरक्षण और उनका पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए एक आयोग का गठन किया है. यह आयोग बुजुर्गों को होने वाली परेशानियों, जैसे- उपेक्षा और शोषण को दूर करने की दिशा में काम करेगा. साथ ही, यह वरिष्ठ नागरिकों के कौशल, अनुभव और नवीन विचारों से अन्य लोगों को लाभान्वित करेगा तथा ‘नव केरल’ के निर्माण में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में भी काम करेगा. इस आयोग का गठन केरल वरिष्ठ नागरिक आयोग अधिनियम, 2025 के तहत किया गया है, जिसे राज्य विधानसभा ने विगत मार्च में पारित किया था. इस आयोग के बनने से राज्य के पीड़ित वरिष्ठ नागरिकों को अपनी बातें रखने का मंच मिलेगा.
आज बुजुर्गों से न केवल उनकी आजादी छीनी जा रही है, बल्कि उनके मौलिक अधिकारों से भी उन्हें वंचित किया जा रहा है. उनको अपमानित किया जा रहा है और उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है. आयोग बनने से इस पर अंकुश लगेगा, साथ ही, बुजुर्गों के कल्याण और संरक्षण पर भी काम होगा. जो लोग या परिवार बुजुर्गों के साथ बुरा व्यवहार करते हैं, उन्हें भी सजा मिलेगी. इस आयोग से वृद्ध समाज की चुनौतियों का समाधान करने के लिए व्यापक रणनीतियां तैयार करने में मदद मिलने की भी उम्मीद है. इस लिहाज से केरल सरकार का यह फैसला ऐतिहासिक है. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के मुताबिक, देश में बुजुर्गों के कल्याण के मामले में देश के अव्वल नंबर का राज्य केरल वरिष्ठ नागरिक आयोग के गठन के जरिये एक और उदाहरण पेश कर रहा है.
इस आयोग में एक अध्यक्ष और कम से कम चार सदस्य होंगे, जिन्हें सरकार द्वारा आधिकारिक अधिसूचना के माध्यम से नियुक्त किया जायेगा. अध्यक्ष समेत सभी सदस्य वरिष्ठ नागरिक तो होंगे ही, यह भी सुनिश्चित किया जायेगा कि कि आयोग में एक सदस्य अनुसूचित जाति या जनजाति से तथा एक सदस्य महिला हो. तिरुवनंतपुरम स्थित आयोग के अध्यक्ष के रूप में पूर्व राज्यसभा सांसद और कोल्लम जिला पंचायत अध्यक्ष के सोमप्रसाद की नियुक्ति की गयी है. राज्य की उच्च शिक्षा एवं सामाजिक न्याय मंत्री आर बिंदु के मुताबिक, सरकार ने वृद्धों की देखभाल और सुरक्षा को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा है. उल्लेखनीय है कि देश में सबसे अधिक वृद्ध आबादी वाले राज्यों में से एक केरल में 2026 तक एक चौथाई लोगों की आयु 60 वर्ष से अधिक होने का अनुमान है.

