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भारत की एकता के रक्षक थे सरदार वल्लभभाई पटेल

Sardar Vallabhbhai Patel : सरदार पटेल का जीवन सादगी की मिसाल था. वह साधु की तरह रहा करते थे. वह आजाद भारत के पहले उप प्रधानमंत्री बने. लेकिन तब भी उन्होंने अपने लिए सरकारी बंगला नहीं लिया. उनके घर में आने वाले मेहमानों को भी सादा चाय-बिस्कुट परोसे जाते थे.

Sardar Vallabhbhai Patel : आज सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती है. उन्होंने राजधानी के ऐतिहासिक नॉर्थ ब्लॉक की पहली मंजिल के विशाल कक्ष से आजाद भारत की आंतरिक सुरक्षा की निगहबानी शुरू की थी. नॉर्थ ब्लॉक का वह कक्ष अपने आप में हमेशा खास रहेगा, जहां से ‘लौह पुरुष’ सरदार पटेल ने स्वतंत्रता के बाद 562 रियासतों का कूटनीति और दृढ़ता से भारत में विलय सुनिश्चित किया था. उसी कक्ष में हैदराबाद में हुए ‘ऑपरेशन पोलो’ जैसे ऐतिहासिक अभियान की भी तैयारी हुई थी. नॉर्थ ब्लॉक के चप्पे-चप्पे पर सरदार पटेल के फैसलों की छाप है. वह सुबह ही नॉर्थ ब्लॉक में आने के बाद रात को 11 बजे के बाद ही अपने आवास जाया करते थे. लाल बलुआ पत्थर से बने नॉर्थ ब्लॉक का निर्माण 1930 तक पूरा हो गया था. यहां 1947 तक ब्रिटिश सरकार के भारत में काम करने वाले अहम अफसरों के दफ्तर थे. सरदार पटेल 1946 में राजधानी दिल्ली में शिफ्ट हो गये थे. वह पंडित नेहरू के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार का हिस्सा थे. उनके पास गृह और सूचना विभाग था. सरदार पटेल ने राजधानी में कभी सरकारी आवास नहीं लिया. वह 1, एपीजे कलाम रोड (पहले औरंगजेब रोड) के बंगले के छोटे से हिस्से में रहने लगे थे, जो एक निजी बंगला था. सरदार पटेल के साथ उनकी पुत्री मणिबेन पटेल भी रहती थीं. वह यहां फिर नॉर्थ ब्लॉक के अपने दफ्तर में काम करते.


सरदार पटेल का जीवन सादगी की मिसाल था. वह साधु की तरह रहा करते थे. वह आजाद भारत के पहले उप प्रधानमंत्री बने. लेकिन तब भी उन्होंने अपने लिए सरकारी बंगला नहीं लिया. उनके घर में आने वाले मेहमानों को भी सादा चाय-बिस्कुट परोसे जाते थे. पत्नी की मृत्यु के बाद उन्होंने दूसरी शादी नहीं की और बच्चों को सादगी सिखायी. बेटी मणिबेन उनके कपड़े धोती और खाना बनाती थीं. पटेल कभी बीमार पड़ते, तो भी दवाइयों पर खर्च नहीं करते; इसके बजाय वह प्राकृतिक उपचार अपनाते थे.


राजधानी के मेटकाफ हाउस में 21 अप्रैल, 1947 को सरदार पटेल ने अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा सम्मेलन में नौकरशाहों (तत्कालीन आइसीएस और भविष्य के आइएएस अधिकारियों) को संबोधित करते हुए एक ऐतिहासिक भाषण दिया था. वह भाषण स्वतंत्रता के ठीक पहले का था, जब देश विभाजन और अराजकता की आशंका से घिरा हुआ था. उन्होंने कहा था कि ‘आपकी निष्ठा संविधान और राष्ट्र के प्रति होनी चाहिए, न कि किसी व्यक्ति, दल या समुदाय के प्रति’. सरदार पटेल ने उनसे यह भी कहा था कि ‘आपको राजनीतिक दबावों से ऊपर उठकर निष्पक्ष और निडर होकर काम करना है. देश की एकता और अखंडता को बनाये रखना आपका परम कर्तव्य है. कोई भी कीमत चुकानी पड़े, देश टूटने न पाये. आने वाला समय कठिन है. दंगे, विभाजन, अराजकता- इन सबमें आपको लौह इच्छाशक्ति से काम लेना है. आप शासक नहीं, सेवक हैं. जनता की सेवा में ही आपकी सार्थकता है’. क्या अब सरदार पटेल की सीख को आला सरकारी बाबू मानते हैं?


जिस दिन महात्मा गांधी की हत्या हुई, उस दिन, यानी 30 जनवरी, 1948 को गांधी से मिलने वाले अंतिम व्यक्ति सरदार पटेल थे. वह उस दिन शाम को पौने पांच बजे से कुछ पहले गांधी जी से मिलने पहुंचे थे. प्रार्थना सभा शाम को पांच बजे शुरू हो जाती थी. लेकिन उस दिन सरदार पटेल से बातचीत चलने के कारण गांधी जी सभा स्थल पर पांच बज कर सोलह मिनट पर पहुंचे थे. उसके एक मिनट बाद ही उन पर गोली चली थी. सरदार पटेल की 15 दिसंबर,1950 को मुंबई में मृत्यु के बाद सरकार उनके राजधानी स्थित 1, एपीजे कलाम रोड ( औरंगजेब रोड) के बंगले को अधिगृहीत करना चाहती थी. सरकार वहां पर सरदार पटेल का स्मारक बनाना चाहती थी. लेकिन, उस बंगले के मालिक बनवारी लाल पुरोहित के परिवार को यह नामंजूर था. देश की राजधानी में सरदार पटेल जैसी बुलंद शख्सियत का कोई कायदे का स्मारक न होना हैरान करता है.


बीते एक जून, 2019 से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह उसी कक्ष से काम कर रहे हैं, जहां पर सरदार पटेल, गोविंद बल्लभ पंत और लालकृष्ण आडवाणी जैसे कद्दावर नेताओं ने काम किया था. अमित शाह द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को लेकर अपने मंत्रालय के आला अफसरों से नॉर्थ ब्लॉक के इसी कमरे में लंबी बैठकें हुआ करती थीं. अगर बिल्कुल हाल की बात करें, तो अमित शाह ने नॉर्थ ब्लॉक से ही ऑपरेशन महादेव और ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट की निगरानी की. इनसे देश-विरोधी ताकतों को गहरी चोट पहुंची है. सरदार पटेल ने ‘लौह पुरुष’ के रूप में हैदराबाद और जूनागढ़ जैसे संकटों का साहसिक समाधान किया, जबकि अमित शाह ने गृह मंत्री के रूप में आतंकवाद, नक्सलवाद और सीमा सुरक्षा पर कठोर नीतियां अपनायी. सरदार पटेल की शख्सियत सदैव देशवासियों को प्रेरित करती रहेगी.

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