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विवेक शुक्ला

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सकारात्मक विपक्ष के रूप में काम करे आप

Aam Aadmi Party : आप के नेताओं का चरित्र अराजकता से भरा है. ये अपनी नयी इबारत गढ़ने की कोशिशें करते हैं. इन्हें समझना होगा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में विपक्ष की भूमिका कई तरह से महत्वपूर्ण होती है. विपक्ष सरकार की नीतियों और कार्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करता है, कमियां उजागर करता है और बेहतर विकल्प सुझाता है.

पुण्यतिथि विशेष तीस जनवरी मार्ग : एक शोक संतप्त सड़क

30 January Road : गांधी जी ने अपने जीवन के 144 दिन यहीं बिताये थे. तेरह से 18 जनवरी तक उपवास रखने के कारण वे बहुत कमजोर हो गये थे. उन्होंने यह उपवास दिल्ली में दंगों को रुकवाने के लिए रखा था, जिसमें वे सफल रहे थे. वे मारे जाने से तीन दिन पहले 27 जनवरी, 1948 को अंतिम बार एक खास मिशन के लिए निकले थे.

दूरद्रष्टा और प्रेरणादायक थे रतन टाटा

भारत के सभी कारोबारियों को रतन टाटा से प्रेरणा लेनी चाहिए. सदियों में जन्म लेती हैं रतन टाटा जैसी शख्सियतें.

शेख हसीना एक बार फिर से दिल्ली में

वाजिद मियां न्यूक्लियर साइंटिस्ट थे और जर्मनी में ही कार्यरत थे. शेख हसीना पंडारा रोड में शिफ्ट करने से पहले कुछ सप्ताह तक राजधानी के 56 लाजपत नगर- पार्ट तीन में भी रही थीं. वहां बाद के कई सालों तक बांग्लादेश का हाई कमीशन काम करता रहा. शेख हसीना के परिवार के कत्लेआम ने उन्हें बुरी तरह तोड़ कर रख दिया था.

पीओके में बढ़ता जा रहा है जनता का गुस्सा

पाकिस्तान तो भारत के जम्मू-कश्मीर पर बार-बार अपना दावा करता है, पर दुनिया देख रही है कि उसके कब्जे वाला कश्मीर जल रहा है. पीओके का अवाम बिजली की भारी-भरकम बिलों और आटे के आसमान छूते दामों के कारण नाराज है.

चितरंजन सावंत : आवाज से दृश्यों को रचने वाला चितेरा

गणतंत्र दिवस परेड में जब सेना की टुकड़ियां कर्तव्य पथ पर आनी शुरू होतीं, तब कमेंट्री की कमान ब्रिगेडियर सावंत के पास हुआ करती थी.

27 जनवरी,1948 : मौत से 3 दिन पहले महरौली क्यों गए थे महात्मा गांधी?

महात्मा गांधी बिड़ला हाउस से युसुफ सराय के रास्ते 30-40 मिनट में दरगाह में पहुंच गए होंगे. तब तक एम्स या आईआईटी नहीं बने थे. वे जब दरगाह पहुंचे तब वहां पर उर्स चल रहा था,पर जायरीन कम ही थे.

बेहद सादगी भरा जीवन जीते थे सरदार पटेल

आजाद भारत के इतिहास से जुड़े दो अहम स्थानों क्रमश: मेटकॉफ हाउस और 1, औरंगजेब रोड के बाहर कोई शिलापट्ट लगाने की कोई कोशिश नहीं की गयी, जिससे देश की युवा पीढ़ी को सरदार पटेल की सादगी और मेटकॉफ हाउस का महत्व पता चल पाता.

नीरज की सफलता से हर भारतीय गौरवान्वित है

नीरज की प्रेरणा के चलते हमारे दो अन्य जैवलिन थ्रोअर क्रमश: किशोर जेना पांचवें और डीपी मनू छठे नंबर पर रहे. यह याद रखना जरूरी है कि खेलों की जननी है एथलेटिक्स.
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