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World Brain Tumor Day 2023: अब लाइलाज नहीं ब्रेन ट्यूमर, जानें क्या है इसके लक्षण, प्रकार और बचाव

हर साल 08 जून विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस मनाया जाता है. ब्रेन ट्यूमर इंसान के मस्तिष्क में कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि के कारण होता है. यह कैंसर युक्त या कैंसर रहित भी हो सकता है. इसका सबसे शुरुआती लक्षण अत्यधिक सिरदर्द के रूप में सामने आता है.

World Brain Tumor Day: विश्व स्वास्थ्य संगठन से संबद्ध ‘द इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर’ के अनुसार, मौजूदा दौर में सिरदर्द की समस्या के सैकड़ों कारण हो सकते हैं, लेकिन यदि सिरदर्द हर दिन सताये और तारीखें बढ़ने के साथ यह बढ़ता ही जाये तो यह स्थिति ब्रेन ट्यूमर की पूर्व चेतावनी हो सकती है. देश में हजारों ऐसे लोग हैं, जो ब्रेन ट्यूमर से ग्रस्त हैं, लेकिन उन्हें यह पता नहीं है कि समय रहते समुचित जांचों और फिर उपचार से उनके स्वास्थ्य पर आया यह संकट समाप्त भी हो सकता है.

ऐसे पनपता है ब्रेन ट्यूमर

जैसे शरीर के अन्य भागों में कोशिकाओं की असामान्य व अनियंत्रित वृद्धि के कारण कैंसर पनपता है, ठीक वैसे ही मस्तिष्क की कोशिकाओं (जिन्हें न्यूरॉन्स कहा जाता है) में अनियंत्रित व असामान्य वृद्धि होने से जो गांठ बन जाती है, उसे ब्रेन ट्यूमर कहते हैं. ब्रेन कैंसर का एक स्वरूप है- ब्रेन ट्यूमर. अमेरिका के येल विश्वविद्यालय मैं कैंसर के संदर्भ में हुए हुए एक अध्ययन से पता चला है कि समस्त प्रकार के ब्रेन कैंसर, ट्यूमर होते हैं, किंतु सभी ब्रेन ट्यूमर कैंसर नहीं होते. कैंसर युक्त ब्रेन ट्यूमर 125 से अधिक प्रकार के होते हैं, जो मस्तिष्क के किसी भी भाग में हो सकते हैं.

ब्रेन ट्यूमर के दो प्रकार

मस्तिष्क स्थित जो ट्यूमर कैंसर रहित होते हैं, उन्हें बिनाइन ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है और जिन ट्यूमर्स में कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि से गांठ पड़ जाती है, उन्हें मैलिग्नेंट या ‘कैंसरस’ ब्रेन ट्यूमर कहते हैं. ब्रेन ट्यूमर में मस्तिष्क के टिश्यूज असामान्य रूप से तेजी से बढ़ते हैं, जिसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क के आंतरिक भाग में दबाव बढ़ता है. नतीजतन सिरदर्द आदि समस्याएं शुरू हो जाती हैं.

प्राइमरी और मेटास्टैटिक ट्यूमर

जो ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क में उत्पन्न होते हैं, उन्हें प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर कहां जाता है. वहीं, जो ट्यूमर शरीर के दूसरे अंगों जैसे किडनी, लिवर और फेफड़ों आदि के जरिये मस्तिष्क तक पहुंचते हैं, उन्हें सेकंडरी या मेटास्टैटिक ब्रेन टयूमर कहते हैं.

क्या हैं ब्रेन ट्यूमर होने के कारण

जर्मन ब्रेन ट्यूमर एसोसिएशन के अनुसार, ब्रेन ट्यूमर होने का कोई एक निश्चित व विशिष्ट कारण अभी तक ज्ञात नहीं हो सका है. विशेषज्ञ के अनुसार, व्यक्ति की जेनेटिक प्रोग्रामिंग की सीक्वेसिंग में होने वाली गड़बड़ी या जीन्स से संबंधित गड़बड़ियों के कारण ज्यादातर ट्यूमर उत्पन्न होते हैं. बावजूद इसके कुछ ऐसी स्थितियां हैं, जिनके परिणामस्वरूप इसके होने का जोखिम बढ़ सकता है, जैसे-

  • विकिरण युक्त अस्वास्थ्यकर माहौल : जिस माहौल में आप रहते हैं, वहां किसी रासायनिक या अन्य विषाक्त गैसों का रेडिएशन तो नहीं है. अगर रेडिएशन है, तो कालांतर में ब्रेन ट्यूमर का जोखिम बढ़ सकता है.

न करें लक्षणों की अनदेखी

  • सिर में लगातार दर्द रहना, लेकिन कालांतर में तेज सिरदर्द होना.

  • याददाश्त कमजोर होना, भ्रमित होना, उल्टी आना, सुनने में समस्या.

  • बोलने और किसी बात को समझने या फिर भाषा को समझने में दिक्कत.

  • पढ़ने या लिखने में परेशानी महसूस करना.

  • नेत्र ज्योति का कम होते जाना या धुंधला दिखाई पड़ना.

  • हर वस्तु का दोहरा (डबल) स्वरूप दिखाई पड़ना.

  • शारीरिक संतुलन खोना या चक्कर आना.

  • चेहरे, हाथों या पैरों में कमजोरी और इनमें सनसनी होना.

  • स्वाद व सूंघने की शक्ति का कमजोर होना.

  • दौरे पड़ना. ट्यूमर दिमाग की कोशिकाओं (न्यूरान्स) को दबाते हैं, जिसके कारण दौरे पड़ते हैं.

  • शरीर के किसी भाग दायें या बायें में कमजोरी महसूस करना.

इन जांचों से चलता है पता

  • सीटी स्कैन (मस्तिष्क) : इसकी सहायता से मस्तिष्क के आंतरिक भागों की फोटो देखकर मर्ज की स्थिति का आकलन किया जाता है.

  • एमआरआइ : इसके अंतर्गत रेडियो सिग्नल की मदद से मस्तिष्क की संरचना से संबंधित जानकारियां ली जाती हैं. इसके अलावा रोगी की हालत और उसकी स्थिति के मद्देनजर एक्स-रे आदि जांचें करायी जाती हैं.

  • फंक्शनल एमआरआइ : यह आधुनिक और विशिष्ट एमआरआइ है, जिसकी उपयोगिता उपरोक्त एमआरआइ (ब्रेन) से ज्यादा महत्वपूर्ण है. फंक्शनल एमआरआइ (ब्रेन) की जांच से ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी अब कहीं ज्यादा बेहतर हो चुकी है. इसका कारण यह है कि इस विशिष्ट एमआरआइ से मस्तिष्क के आंतरिक भाग की गतिविधियों और ट्यूमर के कारण मस्तिष्क के अमुक भाग में हुई क्षति का सटीक आकलन किया जा सकता है.

  • जेनेटिक मैपिंग : इस आधुनिक प्रोसीजर के जरिये अमुक व्यक्ति के मस्तिष्क में मौजूद ट्यूमर में कौन सी कीमोथेरेपी कार्य करेगी, इस बारे में जानकारी मिलती है.

क्या ‌ब्रेन ट्यूमर से बचाव संभव है

फिलहाल किसी वैक्सीन या दवा से ब्रेन ट्यूमर से बचाव संभव नहीं है. इस संदर्भ में हेल्थ एक्सपर्ट्स और कुछ लोग स्वास्थ्यकर जीवनशैली की बात करते हैं. यह सही है कि स्वास्थ्यकर जीवनशैली- जैसे नियमित व्यायाम और उचित, पौष्टिक, संतुलित खानपान एवं जीवन के प्रति सकारात्मक सोच से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर किया जा सकता है. धूम्रपान, शराब या अन्य नशों की लतों से दूर रहकर आप काफी हद तक स्वस्थ बने रह सकते हैं, लेकिन ये सब बातें प्राइमरी ब्रेन टयूमर्स से बचाव के संदर्भ में लागू नहीं होतीं. हां, सेकंडरी ब्रेन ट्यूमर्स को परोक्ष रूप से स्वास्थ्यकर जीवनशैली पर अमल कर रोका जा सकता है. जैसे-फेफड़ों के कैंसर का एक प्रमुख कारण धूम्रपान है. अब अगर कोई शख्स धूम्रपान की लत से दूर हैं, तो उसे लंग्स कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है.

क्या हैं उपचार

  • सर्जरी : जांचों के आधार पर न्यूरो सर्जन यह बात सुनिश्चित करते हैं कि ब्रेन ट्यूमर का आकार और उसकी स्थिति क्या है. इसके बाद ही ट्यूमर की सर्जरी का निर्णय लिया जाता है. न्यूरोसर्जन स्कल या खोपड़ी में छेद करते हैं. ट्यूमर हटाने के इस ऑपरेशन को क्रैनियोटॉमी कहा जाता है.

  • एंडोस्कोपिक सर्जिकल प्रक्रिया : ब्रेन ट्यूमर को हटाने में इस प्रक्रिया का भी सहारा लिया जाता है.

  • विकिरण थेरेपी : इन दिनों प्रचलन में जारी लगभग सभी रेडिएशन थेरेपीज टारगेटेड होती हैं. टारगेटेड से यहां आशय है कि ऐसी रेडिएशन थेरेपी से कैंसरग्रस्त कोशिकाओं या ट्यूमर के अलावा आसपास स्थित अन्य स्वस्थ टिश्यूज और कोशिकाओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचता. कैंसरग्रस्त ट्यूमर को हटाने के लिए विकिरण चिकित्सा का सहारा लेते हैं.

  • गामा नाइफ : एडवांस रेडियोथेरेपी प्रोसीजर है-गामा नाइफ. विकिरण के इस आधुनिक प्रोसीजर से ट्यूमर को खत्म करते हैं. अगर ब्रेन ट्यूमर का आकार गोलाकार है, तो उस स्थिति में गामा नाइफ रेडिएशन थेरेपी बेहतर साबित होती है.

  • साइबर नाइफ रेडिएशन थेरेपी : अगर ट्यूमर का आकार टेढ़ा है या फिर अंडाकार है, तो ऐसे मामलों में साइबर नाइफ बेहतर साबित होता है.

  • प्रोटॉन बीम थेरेपी : कैंसर के इलाज में यह सबसे आधुनिक चिकित्सा पद्धति है. देश में चेन्नई स्थित अपोलो प्रोटॉन कैंसर सेंटर के बाद टाटा मेमोरियल सेंटर, मुंबई में भी प्रोटॉन बीम थेरेपी की शुरुआत हो चुकी है. प्रोटॉन बीम रेडिएशन थेरेपी के अंतर्गत ब्रेन ट्यूमर को हटाने के लिए प्रोटॉन की किरणों का उपयोग करते हैं, जबकि ज्यादातर रेडिएशन थेरेपी में एक्स-रे का उपयोग होता है.

  • कीमोथेरेपी : इसके अंतर्गत ट्यूमर को समाप्त करने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है. इन दिनों ब्रेन ट्यूमर के कुछ मामलों में कीमोथेरेपी के बाद सर्जरी की जाती है.

  • कान के पीछे से ऑपरेशन : लखनऊ स्थित प्रसिद्ध चिकित्सा संस्थान एसजीपीजीआइ ने ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी की एक नयी तकनीक विकसित की है. इस तकनीक के जरिये ट्यूमर का ऑपरेशन सिर खोलकर करने की जरूरत नहीं है. इसके बजाय कान के पीछे के स्कल एरिया से सर्जरी करना संभव है.

जानिए ब्रेन ट्यूमर से जुड़ी भ्रांतियों को

  • भ्रांति : कई लोगों का मानना है कि सेल फोन या मोबाइल फोन का इस्तेमाल कालांतर में ब्रेन ट्यूमर का कारण बनता है.

  • तथ्य : यूके स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन में हुए एक अध्ययन के अनुसार अभी तक दुनियाभर में जो शोध व अध्ययन हुए हैं, उनसे यह बात प्रमाणित नहीं होती कि मोबाइल फोन से ब्रेन ट्यूमर होता है. बावजूद इसके तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि लंबे समय तक विकिरण (रेडिएशन) के प्रभाव में रहने से शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. ऐसे में विकिरण रहित स्वच्छ पर्यावरण व वातावरण में रहना मानव स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्यकर है.

  • भ्रांति : सभी ब्रेन ट्यूमर कैंसर हैं.

  • तथ्य : यह प्रमाणित हो चुका है कि लगभग एक तिहाई ब्रेन ट्यूमर ही कैंसर मैं तब्दील होते हैं. ज्यादातर बिनाइन ब्रेन टयूमर्स (जो कैंसरस नहीं होते) का इलाज संभव है.

  • भ्रांति : युवाओं को ब्रेन ट्यूमर नहीं होता.

  • तथ्य : ब्रेन ट्यूमर सभी आयु वर्ग के लोगों को अपनी गिरफ्त में ले सकता है. चाहे वे युवा हों, वयस्क या फिर बुजुर्ग. यहां तक कि नवजात शिशु या छोटे बच्चों में भी ब्रेन ट्यूमर के मामले सामने आते हैं.

  • भ्रांति : उम्र बढ़ने पर ब्रेन ट्यूमर के मामले भी बढ़ते जाते हैं.

  • तथ्य : ऐसा कुछ भी नहीं है. किसी भी व्यक्ति के जीवनकाल में मैलिग्नेंट ब्रेन ट्यूमर होने का खतरा 1 प्रतिशत से कम होता है.

मस्तिष्क के भाग और ट्यूमर

मस्तिष्क के चार भाग होते हैं. फ्रंटल यानी जो मस्तिष्क के सामने वाला भाग है. मस्तिष्क के इस भाग का कार्य सोचने से संबंधित है. टेंपोरल यानी दिमाग के बायीं तरफ का भाग. इस भाग का कार्य देखना, सुनना और भाषा को समझना होता है. पैराइटल यानी जो मस्तिष्क के दाहिनी ओर का भाग है. इसका कार्य स्पर्श या पीड़ा की अनुभूति से संबंधित है. वहीं, ऑक्सीपिटल यानी मस्तिष्क के पीछे वाले भाग. इसका कार्य वस्तुओं को पहचानने से संबंधित है. मस्तिष्क के उपरोक्त चारों भागों में से किसी भी एक भाग में जब गांठ बन जाती है, तो उसे ट्यूमर कहते हैं. मस्तिष्क के जिस भाग में ट्यूमर होता है, उसी भाग से नियंत्रित व संचालित होने वाले शरीर के अंग प्रभावित होते हैं. जैसे फ्रंटल भाग में अगर कोई ट्यूमर है, तो उसकी सोचने-विचारने की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

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