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लेबनान में विस्फोट का नया औजार बना पेजर

pager blast in lebanon : इसमें कोई संदेह नहीं है कि पेजर-डब्ल्यूटी प्रणाली से चल रही हिज्बुल्लाह की पूरी संचार प्रणाली को नष्ट कर दिया गया, जिसे इस समूह ने संचार व्यवस्था में इस्राइली एजेंसियों की सेंधमारी को रोकने के लिए इतने लंबे समय से व्यवस्थित किया था.

pager blast in lebanon : लेबनान में हिज्बुल्लाह के खिलाफ इस्राइली युद्ध में हवाई हमलों तथा पेजर और वॉकी-टॉकी सेटों में विस्फोटों से भविष्य के परिदृश्य के दो आयाम उभर कर सामने आते हैं. पहला यह कि क्या यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है. दूसरा यह विश्लेषण है कि क्या इस्राइल द्वारा पेजरों के सामूहिक विस्फोट ने एक नया और खतरनाक भविष्य का खाका स्थापित कर दिया है, जिसे दूसरे देश भी अब अपना सकते हैं.

पेजर और वॉकी-टॉकी सेट में विस्फोटक छुपाने के इस्राइल के कदम की नकल विमान और वाहनों को उड़ाने के लिए भी की जा सकती है. ऐसी आशंका उसके अमेरिकी समर्थकों द्वारा भी व्यक्त की जा रही है. एक कंजरवेटिव अमेरिकी थिंक टैंक ने पेजर विस्फोटों के तुरंत बाद आश्चर्य जताया कि क्या इस कार्रवाई को मोबाइल फोन या आम उपयोग में आने वाले अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर दोहराया जा सकता है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि पेजर-डब्ल्यूटी प्रणाली से चल रही हिज्बुल्लाह की पूरी संचार प्रणाली को नष्ट कर दिया गया, जिसे इस समूह ने संचार व्यवस्था में इस्राइली एजेंसियों की सेंधमारी को रोकने के लिए इतने लंबे समय से व्यवस्थित किया था. लेबनान में पेजर और वॉकी-टॉकी सेटों में दो बार बड़े पैमाने पर विस्फोट हुए. इन विस्फोटों के कारण कई नागरिकों की मौत हुई है और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं. सीरिया में भी ऐसे हमलों को अंजाम दिया गया है.


हालांकि इस्राइल ने आधिकारिक तौर पर इन विस्फोटों की जिम्मेदारी नहीं ले है, रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने सार्वजनिक रूप से खुलासा किया है कि इस्राइल अब ‘युद्ध के एक नये चरण में प्रवेश कर रहा है’. इस्राइली सेना के प्रमुख हर्जी हलेवी ने यह भी चेतावनी दी है कि वे कई और आश्चर्य करने में सक्षम हैं क्योंकि ‘हम पहले से ही दो कदम आगे हैं… हम स्थिति को ऐसा बना देंगे कि आतंकवादी शौचालय जाने और यहां तक कि खाना खाने से भी डरेंगे’. अमेरिकन नेशनल पब्लिक रेडियो (एनपीआर) ने 20 सितंबर को यह खुलासा किया कि एक अधिकारी (जो सार्वजनिक रूप से बोलने के लिए अधिकृत नहीं है) ने उन्हें बताया कि इस्राइल ने हमलों की जिम्मेदारी लेते हुए विस्फोटों के बाद अमेरिका को सूचित किया था.

कानूनी विशेषज्ञों का हवाला देते हुए एनपीआर ने कहा कि इस्राइल ने उसके और लेबनान द्वारा हस्ताक्षरित अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है. ऐसा इसलिए है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र ने 1996 में कुछ निर्धारित पारंपरिक हथियारों के उपयोग के लिए संशोधित कन्वेंशन में प्रावधान जोड़ा था. उस संशोधन के तहत, वैसे उपकरणों में छिपे ‘बूबी ट्रैप’ पर प्रतिबंध है, जिनसे नागरिकों के आकर्षित होने की संभावना है या जो सामान्य नागरिक दैनिक उपयोग से जुड़े हैं और जो सैन्य लक्ष्यों और नागरिकों पर बिना कोई भेद किये हमले करते हैं.


अनुभव बताता है कि इस्राइल संयुक्त राष्ट्र निकायों या अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों के मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों से प्रभावित नहीं होगा. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 17 सितंबर को ही फिलिस्तीन के एक गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव को भारी बहुमत से अपनाया था, जिसमें इस्राइल से 12 महीने के भीतर ‘कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में अपनी गैरकानूनी उपस्थिति’ को समाप्त करने की मांग की गयी है. इस्राइल ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के बीते जुलाई के उस आदेश को भी नजरअंदाज कर दिया, जिसमें उसे कब्जे वाले इलाकों में बस्तियों को रोकने और ‘अवैध’ कब्जे को जल्दी समाप्त करने के लिए कहा गया था. इस्राइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने तब कहा था कि अदालत ने ‘झूठ का फैसला’ दिया है. बेरुत हमले में हिज्बुल्लाह के एक वरिष्ठ कमांडर इब्राहिम अकील की भी मौत हुई.

अस्सी के दशक में अकील अमेरिकी ठिकानों के खिलाफ बमबारी की दो बड़ी घटनाओं में शामिल था. आतंकवाद के इतिहास के अध्ययन से पता चलता है कि पेजर व वॉकी-टॉकी विस्फोटों को ट्रिगर करने की इस्राइली कार्रवाई वर्ल्ड ट्रेड सेंटर हमलों के बाद अफगानिस्तान पर अमेरिकी हमले जैसी कार्रवाई या अति-प्रतिक्रिया की सामान्य प्रथा की तुलना में किसी देश द्वारा पहला शिकारी कदम हो सकती है.


इतिहास में 1881 में ‘नरोदनाया वोल्या’ संगठन के पहले आत्मघाती बम विस्फोट, जिसमें सेंट पीटर्सबर्ग में जार अलेक्जेंडर द्वितीय की मौत हुई थी, के बाद से आज तक किसी भी देश ने इतने गंभीर प्रभाव वाले हमलों को अंजाम नहीं दिया है. यही बात 1882 में लॉर्ड कैवेंडिश (आयरलैंड में ब्रिटिश मुख्य सचिव), 1894 में फ्रांसीसी राष्ट्रपति कार्नोट, 1897 में स्पेनिश प्रधानमंत्री एंटोनियो कैनोवास और 1900 में इटली के राजा अम्बर्तो की हत्याओं के साथ भी लागू होती है. यदि अमेरिकी एजेंसियों ने 1995 में रैमजी यूसेफ की चेतावनी को गंभीरता से लिया होता, तो क्या ट्रेड सेंटर हमले को टाला जा सकता था? यूसेफ ने 26 फरवरी, 1993 को विस्फोटक से लदी वैन को न्यूयॉर्क वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के बेसमेंट में विस्फोट कर दिया था. उसे 1995 में पाकिस्तान से गिरफ्तार किया गया और अमेरिका ले जाया गया. वहां एक अधिकारी ने उस पर तंज किया कि ट्रेड सेंटर अभी भी कायम है, तो यूसेफ ने शांत भाव से जवाब दिया- ‘अगर हमारे पास अधिक पैसे होते, तो इमारत नहीं बचती.’
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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