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सूडान में ऑपरेशन कावेरी

फंसे हुए लोगों से संपर्क करना आसान नहीं है. उनके लिए सुरक्षित जगहों पर या बंदरगाह पर पहुंचने में भी मुश्किलें आ रही हैं.

अफ्रीकी देश सूडान में सेना और विशेष सुरक्षा बल की आपसी लड़ाई लगातार गंभीर होती जा रही है. यह संघर्ष गृहयुद्ध में बदलता दिख रहा है. कई बड़े देश अपने दूतावास खाली कर चुके हैं और मिस्र दूतावास में कार्यरत एक बड़े अधिकारी की मौत भी हो चुकी है. सूडानी नागरिक हों या दूसरे देशों के लोग, किसी की भी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है. ऐसी विषम परिस्थिति में एक बार फिर भारत सरकार ने भारतीय नागरिकों को वहां से सुरक्षित निकालने का बड़ा अभियान छेड़ दिया है, जिसे ऑपरेशन कावेरी नाम दिया गया है.

इसकी तैयारी कुछ दिनों से चल रही थी. लगभग 500 भारतीय सूडान बंदरगाह तक पहुंच भी चुके है, जिनमें से बहुत से लोग सऊदी अरब के जेद्दा शहर के लिए रवाना हो चुके हैं. वहां फंसे भारतीयों को पहले सऊदी अरब लाया जा रहा है, जहां से वे भारत पहुंचेंगे. सूडान बंदरगाह पर भारतीय नौसेना के युद्धपोत आइएनएस सुमेधा को तैनात किया गया है, जबकि जेद्दा में भारतीय वायु सेना के दो मालवाहक जहाज मौजूद हैं.

अनुमानों की मानें, तो सूडान के विभिन्न क्षेत्रों में लगभग तीन हजार भारतीय कार्यरत हैं. कई दिनों से चल रही लड़ाई के कारण यातायात के साथ-साथ संचार व्यवस्था भी तबाह हुई है. ऐसी स्थिति में फंसे हुए लोगों से संपर्क करना आसान नहीं है. उनके लिए सुरक्षित जगहों पर या बंदरगाह पर पहुंचने में भी मुश्किलें आ रही हैं. उल्लेखनीय है कि सूडानी सेना और अर्द्धसैनिक बलों की इस लड़ाई में 400 लोगों की जान जा चुकी है.

इस बचाव अभियान में भारत सूडानी अधिकारियों के अलावा संयुक्त राष्ट्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र, अमेरिका और अन्य कुछ देशों के लगातार संपर्क में है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले सप्ताह इस मसले पर अनेक देशों के विदेश मंत्रियों से बात की थी. यह भी महत्वपूर्ण है कि जब अनेक ताकतवर और सूडान के कुछ पड़ोसी देशों ने अपने दूतावास को खाली कर दिया है, वहीं भारतीय दूतावास कार्यरत है तथा अपने देश के नागरिकों को बचाने के अभियान को निर्देशित कर रहा है.

बीते शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अधिकारियों को आपात योजना बनाने और तुरंत उस पर अमल करने का निर्देश दिया था. भारत दूसरे देशों के नागरिकों को सुरक्षित निकालने में भी सहयोग मुहैया करा है. अन्य देश भी भारतीयों की मदद के लिए तत्पर हैं. फ्रांसीसी अभियान ने भी पांच भारतीयों को निकाला है. लीबिया, यूक्रेन आदि देशों में चलाये गये बचाव अभियानों के अनुभव इस अभियान में महत्वपूर्ण सिद्ध हो रहे हैं. आशा है कि सभी भारतीय जल्दी ही युद्धरत देश से बाहर निकल जायेंगे.

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