Russia-Ukraine war : रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रूसी सेना में भारतीयों की भर्ती की खबरों के बीच विदेश मंत्रालय ने एक बार फिर सख्त संदेश देते हुए रूस से अपनी सेना में भारतीयों की भर्ती न करने के लिए कहा, साथ ही, भारतीयों को रूसी सेना में शामिल होने के प्रस्तावों से दूर रहने को कहते हुए इसे खतरों से भरा बताया है. भारत लंबे समय से इस मामले में रूस से बात कर रहा है. पिछले वर्ष अपने रूस दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी ने व्लादिमीर पुतिन के साथ इस बारे में बातचीत की थी, तो सरकार ने रूसी अधिकारियों के समक्ष भी इस मुद्दे को उठाते हुए भारतीयों की भर्ती न करने की मांग की थी.
सीबीआइ ने मानव तस्करी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई कर उन एजेंटों को पकड़ा भी था, जो देश के कई हिस्सों से भारतीयों को नौकरी देने के लालच में रूस ले जा रहे थे. पिछले एक वर्ष में कई बार इस बारे में चेतावनी जारी की गयी है तथा यह मुद्दा कई बार संसद में भी उठ चुका है. जुलाई, 2025 में राज्यसभा को विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया था कि 127 भारतीय नागरिकों के रूसी सेना में सेवा देने की सूचना मिली थी. भारत और रूस के बीच उच्च स्तरीय बातचीत के बाद 98 भारतीयों की सेवा समाप्त कर दी गयी. कम से कम 15 भारतीयों के तब यूक्रेन के युद्ध क्षेत्र में फंसने की जानकारी भी दी गयी थी. यह बात भी सामने आई थी कि इन भारतीयों को रूस की तरफ से यूक्रेन के खिलाफ लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
पिछले एक वर्ष में कुछ भारतीयों के जहां रूस-यूक्रेन युद्ध में मारे जाने की सूचना मिली है, वहीं जो भारतीय रूस में फंसे हैं, उनके परिजनों की तरफ से बताया गया कि एजेंटों की तरफ से गलत सूचना के आधार पर उन्हें वहां ले जाया गया और युद्ध में शामिल होने के लिए दबाव बनाया गया. भारत की तरफ से यह मुद्दा उठाने के बाद नयी दिल्ली स्थित रूसी दूतावास ने बताया था कि वह अपनी सेना में भारतीयों की भर्ती कतई नहीं करेगा. यह भी बताया गया कि रूस को युद्ध के लिए भारतीयों की जरूरत नहीं है. लेकिन मीडिया रिपोर्ट बताती है कि अब भी कुछ भारतीयों को वहां ले जाया गया है. विदेश मंत्रालय का ताजा बयान बताता है कि रूस की सेना में भारतीयों को शामिल करने वाली एजेंसियां किसी न किसी तरह से सक्रिय हैं.

