28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

अमेरिकी मिडटर्म चुनाव परिणाम के संदेश

मिड टर्म चुनाव जब विपक्षी दल ऐतिहासिक रूप से अच्छा प्रदर्शन करते रहे हैं, ऐसे में बाइडेन ने सीनेट में बहुमत बनाये रखा है और निचले सदन में भी रिपब्लिकन पार्टी को बड़ा बहुमत लेने से रोका है, जो पिछले बीस साल में एक रिकॉर्ड उपलब्धि है किसी भी राष्ट्रपति के लिए.

अमेरिका में मिड टर्म चुनावों के परिणामों में स्पष्टता आने में करीब एक हफ्ते का समय लगा है और इसका दोषी राजनीतिक दलों, खासकर रिपब्लिकन पार्टी, की रणनीति को ठहराया जा रहा है. मिड टर्म यानी हर दो साल पर अमेरिका के उच्च सदन (सीनेट) के कुछ सदस्यों और निचले सदन (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव) का कार्यकाल खत्म होता है और उन पर फिर से चुनाव होता है. इन्हें मिड टर्म इसलिए भी कहा जाता है कि चार साल पर राष्ट्रपति चुनाव होने के कारण ये चुनाव राष्ट्रपति का कार्यकाल आधा होने के बाद आते हैं.

जाहिर है, इसे राष्ट्रपति के कामकाज पर टिप्पणी की तरह देखा जाता है. इस बार पहले कहा जा रहा था कि बढ़ती मंहगाई, गैस की कीमतों, बाइडेन प्रशासन से नाराजगी के कारण लाल सूनामी आयेगी यानी रिपब्लिकन पार्टी, जिसका रंग लाल है, हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में भारी जीत दर्ज करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ताजा परिणाम आने तक रिपब्लिकन पार्टी निचले सदन में बहुमत के लिए जरूरी 218 सीटों से मात्र एक सीट दूर है. दूसरी तरफ सीनेट में भी कांटे का मुकाबला रहा और डेमोक्रेटिक पार्टी ने एक सीट से बहुमत बनाये रखा है.

जल्दी ही सभी सीटों के परिणाम आने की संभावना है, लेकिन यह माना जा सकता है कि सीनेट डेमोक्रेट पार्टी और हाउस रिपब्लिकन पार्टी के पास है. इस तरह की व्यवस्था को डिवाइडेड गवर्नमेंट कहा जाता है. भारत से तुलना करते हुए समझें, तो अगर सरकार भाजपा की है, तो मिड टर्म में राज्यसभा में उनका बहुमत है, मगर लोकसभा में किसी और दल का. अमेरिका में यह पहली बार नहीं है, जब राष्ट्रपति जिस दल का हो, उसे दोनों सदन में बहुमत न हो.

कई बार तो ऐसा भी रहा है कि डेमोक्रेट राष्ट्रपति हो और दोनों सदन में बहुमत रिपब्लिकन का हो, जैसा कि क्लिंटन के कार्यकाल में लंबे समय तक रहा. वे डेमोक्रेट राष्ट्रपति थे, लेकिन 1995 के बाद 2001 तक हुए मिड टर्म चुनावों में दोनों सदनों में बहुमत रिपब्लिकन पार्टी को ही रहा. ऐसे में सरकार का काम रूकता तो नहीं है, लेकिन पेचीदा जरूर हो जाता है. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि सरकार की कार्यपालिका राष्ट्रपति के हाथ में होती है, लेकिन विधायिका किसी दूसरे दल के हाथ में.

फिलहाल सीनेट डेमोक्रेट पार्टी के साथ होने के कारण राष्ट्रपति बाइडेन के लिए स्थिति बेहतर कही जा सकती है. साथ ही, हाउस के चुनावों में भी आशा के विपरीत डेमोक्रेट पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहा है. विश्लेषक इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले को जिम्मेदार मानते हैं, जिसमें अमेरिका में गर्भपात को अवैध घोषित किया गया है. विश्लेषक कहते हैं कि इस मामले में डेमोक्रेटिक दल ने बिल्कुल खुल कर स्टैंड लेते हुए इसे मानवाधिकार विरोधी और स्त्री विरोधी फैसला करार दिया है.

पार्टी ने कोर्ट के इस फैसले की हर मंच से आलोचना करते हुए कहा है कि यह अमेरिकी लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन की प्रक्रिया की शुरुआत है. माना जाता है कि इस कारण बड़ी संख्या में महिलाओं ने डेमोक्रेट पार्टी को वोट दिया है. हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने हर राज्य को इस बाबत अपने फैसले करने का हक दिया है,

इसलिए कहा जा रहा है कि आने वाले समय में अमेरिकी जनजीवन इस पर निर्भर करेगा कि आप किस राज्य में रहते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि हर राज्य में जो पार्टी सत्ता में है, वही ज्यादातर नियम बनाती है. अमेरिका के पचास राज्यों में से चौबीस राज्यों में डेमोक्रेटिक पार्टी के गवर्नर हैं और पच्चीस में रिपब्लिकन पार्टी के. पिछले चुनाव की तुलना में डेमोक्रेट पार्टी ने दो गवर्नरों का इजाफा किया और रिपब्लिकन पार्टी ने दो गवर्नर हारे हैं.

इन चुनावों में कई बातें अप्रत्याशित रही हैं, जिनमें एक वोटर टर्नआउट भी रहा है. आम तौर पर मिड टर्म चुनावों में बीस से पच्चीस प्रतिशत कम वोटिंग होती है, इसलिए इस बात को लेकर डेमोक्रेट पार्टी चिंता में थी. हालांकि परिणामों से साफ है कि डेमोक्रेट पार्टी का वोट बेस बाहर निकला है वोट करने के लिए. मिड टर्म की मतगणना में संभवत: पहली बार इतनी देरी हुई है, लेकिन इसकी पृष्ठभूमि में रिपब्लिकन पार्टी के बेबुनियाद आरोप रहे हैं, जो वे दो साल पहले से ही लगाते रहे हैं कि चुनावों में धांधली होती है.

अमेरिका में आम तौर पर वोटिंग का एक दिन निर्धारित नहीं होता है. वोट करने की अंतिम तारीख तय होती है और वोटर उस तारीख से पहले अलग अलग जगहों पर जाकर वोट देते रहते हैं. एक बड़ी संख्या में वोटर पोस्टल बैलेट पर मतदान करते हैं, जिनकी गिनती मतगणना के तुरंत बाद शुरू हो जाती है. इन चुनावों में धांधली की गुंजाइश के आरोपों के बाद हर पोस्टल बैलेट को एक जगह करने का फैसला हुआ, जिसके कारण गणना में बहुत अधिक देरी हुई.

साथ ही, हर मतगणना में दोनों दलों का एक एक व्यक्ति नियुक्त भी खड़ा रहा. इस तरह की व्यवस्था के कारण अभी भी मतगणना का काम पूरा नहीं हुआ है. मंगलवार सुबह तक कम से कम चौदह सीटों पर रूझान भी इतने स्पष्ट नहीं थे कि कहा जा सके कि कौन सी पार्टी जीत सकती है.

रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीद से खराब प्रदर्शन के पीछे पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी जिम्मेदार बताया जा रहा है, जिन्होंने चुनाव के दौरान कई अपने लोगों को टिकट दिलवाया था और वे अधिकतर उम्मीदवार हारे हैं. इसके बावजूद यह कहना जल्दबाजी होगी कि अमेरिका के लोग डेमोक्रेट पार्टी के समर्थन में हैं. मंहगाई को लेकर डेमोक्रेट पार्टी के पास सवालों के जवाब नहीं हैं.

वे लोगों को ये बता नहीं पा रहे हैं कि मंहगाई पर कब और कैसे नियंत्रण किया जा सकेगा. यह एक बड़ा कारण है कि बाइडेन की एप्रूवल रेटिंग लगातार गिरती रही है. हालांकि इसके बावजूद मिड टर्म चुनाव जब विपक्षी दल ऐतिहासिक रूप से अच्छा प्रदर्शन करते रहे हैं, ऐसे में बाइडेन ने सीनेट में बहुमत बनाये रखा है और निचले सदन में भी रिपब्लिकन पार्टी को बड़ा बहुमत लेने से रोका है,

जो पिछले बीस साल में एक रिकॉर्ड उपलब्धि है किसी भी राष्ट्रपति के लिए. फिलहाल जो परिणाम हैं, उससे यही कहा जा सकता है कि कम से कम संसद के दोनों सदनों में अमेरिकी जनता ने यह दिखाया है कि वह मुद्दों पर पूरी तरह बंटी हुई है और किसी भी दल को हर मुद्दे पर पूरा समर्थन नहीं मिला है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें