Maternal mortality rates : संयुक्त राष्ट्र ने विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व बैंक की मदद से तैयार एक ताजा रिपोर्ट में बताया है कि पिछले ढाई दशक में दुनिया भर में माताओं की मृत्यु दर घटी है, पर स्थिति अभी चिंताजनक है. वर्ष 2000 से 2023 के बीच के आंकड़ों और 195 देशों में किये गये अध्ययन के आधार पर तैयार यह रिपोर्ट बताती है कि भारत समेत दुनिया के अनेक देशों में प्रसव के बाद महिलाओं के जीवित रहने की संभावना अब पहले से कहीं अधिक है.
रिपोर्ट के मुताबिक, करीब ढाई दशक में भारत में मातृ मृत्यु दर में 78 फीसदी की गिरावट आयी है, जबकि दुनिया भर में यह गिरावट 40 प्रतिशत दर्ज की गयी. हालांकि इस दौरान भूटान में मातृ मृत्यु दर में 85 फीसदी और बांग्लादेश में 79 फीसदी की गिरावट आयी, जो भारत से बेहतर है. पिछले 23 वर्षों में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक बेहतर पहुंच के कारण यह संभव हो पाया है. इसी कारण भारत में मातृ मृत्यु दर पहली बार 100 से नीचे आ गयी.
वर्ष 2023 में देश में कुल 80 महिलाओं की मृत्यु प्रसव के दौरान हुई थी, जबकि वर्ष 2000 में यह आंकड़ा 362 मौतों का था. शिशु मृत्यु दर में गिरावट के बाद माताओं की मौत के मामले में कमी आना स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भारत की बड़ी उपलब्धि है. हालांकि इस रिपोर्ट में कुछ चिंताएं भी जतायी गयी हैं. जैसे, बताया गया है कि कोविड के दौरान स्वास्थ्य सेवा बाधित होने से मातृ मृत्यु दर बढ़ी. ऐसे ही, 2023 में हिंसक संघर्ष वाले देशों और इलाकों में स्वास्थ्य सेवा बदतर होने के कारण मातृ मृत्यु दर में बढ़ोतरी हुई. पिछले ढाई दशकों में मातृ मृत्यु दर में आयी भारी गिरावट के बावजूद रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि सुधार की गति रुक गयी है और मदद में विश्वव्यापी कटौती के चलते इस दर में उलटफेर दिखाई देता है.
यह वाकई चिंता की बात है कि लगभग एक दशक-यानी 2016 से स्वास्थ्य क्षेत्र में विकास की यह गति रुक-सी गयी है. रिपोर्ट बताती है कि बेशक वर्ष 2000 से 2015 के बीच मातृ मृत्यु दर में भारी गिरावट आयी, लेकिन 2016 से 2023 के बीच यह आंकड़ा लगभग स्थिर रहा. डोनाल्ड ट्रंप के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद ज्यादातर वैश्विक संस्थाओं में अमेरिकी मदद रोक दी गयी है. ऐसे में, एक बार फिर पूरी दुनिया में मातृ मृत्यु दर का खतरा मंडरा रहा है. हालांकि इसके बावजूद प्रगति संभव है, लेकिन इसके लिए ठोस कार्रवाई की आवश्यकता होगी.