US tariffs : डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय उत्पादों पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ लगाने के निर्णय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने जो कुछ कहा है, वह अमेरिका को ठोस संदेश है. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारे लिए अपने किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है. भारत अपने किसानों के, पशुपालकों के और मछुआरे भाई-बहनों के हितों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा. और मैं जानता हूं कि मुझे इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं.’ इससे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय भी अपनी प्रतिक्रिया में कह चुका है कि अमेरिका ने जिस काम के लिए भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है, वह काम अपने राष्ट्रहितों के मद्देनजर दूसरे कुछ देश भी कर रहे हैं.
भारत का इशारा यूरोप और चीन की ओर है, जो रूस से खरीदारी कर रहे हैं, लेकिन अमेरिकी टैरिफ की मार से बचे हुए हैं. ट्रंप दरअसल जिस तरह एकतरफा टैरिफ लगा रहे हैं, वह अमेरिकी कानूनों के भी अनुरूप नहीं है. बेशक कई देश अमेरिका के साथ ट्रेड डील में अपने हितों से समझौता करने के लिए विवश हुए हैं. लेकिन भारत ने झुकने से इनकार कर जता दिया है कि अपने हितों की रक्षा के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है. कुल 50 फीसदी टैरिफ लगाये जाने से अमेरिका में भारतीय निर्यात बुरी तरह प्रभावित होगा. हालांकि गोल्डमैन सैक्स ने बताया है कि ट्रंप के 50 फीसदी टैरिफ लगाने के फैसले से भारत की जीडीपी में लगभग 0.6 फीसदी की गिरावट आयेगी. हालांकि यह बहुत जल्दबाजी है, इसीलिए इस अमेरिकी निवेश समूह ने यह भी कहा है कि भारत की जीडीपी पर पड़ने वाले वास्तविक असर का पता बीस दिन बाद ही चल जायेगा.
दूसरी ओर, ट्रंप के इस रवैये की आलोचना भी हो रही है. उनके वार्ता प्रस्ताव को ब्राजील के राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया है, तो भारत पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ लगाने के फैसले की आलोचना भारत में चीनी राजदूत ने भी की है. क्या यह सिर्फ संयोग है कि ट्रंप द्वारा भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा के तुरंत बाद प्रधानमंत्री मोदी के इस महीने के अंत में एससीओ की शिखर बैठक में भाग लेने बीजिंग जाने और इस साल के आखिर तक रूसी राष्ट्रपति पुतिन के भारत आने की घोषणा हुई है? या इसमें संदेश छिपा है? ट्रंप का यह रवैया ब्रिक्स देशों को एकजुट और मजबूत होने के लिए प्रोत्साहित करे, तो इसमें किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए.

