-हर्ष कक्कड़-
मेजर जनरल (रिटायर्ड)
India Pakistan War : पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के करीब दो सप्ताह बाद भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत आतंकियों और आतंकी ढांचों को निशाना बनाया. इसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के कुल नौ ठिकानों पर तीनों सेना की तरफ से सुनियोजित कार्रवाई की गयी. हमारी सेना के निशाने पर दो ज्ञात आतंकी संगठनों- लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंप थे. सैन्य हमले एकदम सटीक थे, जिनमें नागरिक ठिकानों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा. सैन्य कार्रवाई के बाद हमारी सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया, ‘कार्रवाई नपी-तुली, आनुपातिक और जिम्मेदारी भरी थी, भड़काऊ नहीं. इसमें आतंकी ठिकानों के साथ आतंकियों को निशाना बनाया गया, जो भारत आकर हमले करते हैं.’ यह भी कहा गया कि पाकिस्तान के सैन्य ढांचे को निशाना नहीं बनाया गया.
उड़ी और पुलवामा के बाद भारत ने जैसी सर्जिकल स्ट्राइक की थी, पाकिस्तान इस बार भी वैसी ही कार्रवाई की उम्मीद कर रहा था. पर जो हुआ, वह उसकी कल्पना से परे था. भारतीय सेना ने जहां नियंत्रण रेखा के पास वाले आतंकी शिविरों को निशाना बनाया, वहीं वायुसेना ने पाकिस्तान के अंदर आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया. भारतीय कार्रवाई के असर का पता जैश सरगना मसूद अजहर की स्वीकारोक्ति से चलता है, जिसमें उसने अपने परिवार के दस लोगों के मारे जाने की बात स्वीकारी है. चूंकि सीमा के इस पार से ही सटीक निशाने साधे गये, इस कारण न तो आमने-सामने की लड़ाई हुई, न पाक वायुसेना को कोई अवसर मिला. संदेश बहुत स्पष्ट था- आतंकी हमले होंगे, तो भारत सैन्य कार्रवाई का समय और ठिकाने सुनिश्चित कर उनका करारा जवाब देगा.
भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई के लिए लक्ष्य सुनियोजित ढंग से चुने. मात्र पच्चीस मिनट की चौतरफा सैन्य कार्रवाई में पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में सत्तर से ज्यादा आतंकी मारे गये. इससे पाक सेना और उसकी कठपुतली सरकार की कंपकंपी छूट गयी, जिनकी सोच यह थी कि सैन्य तैयारी और परमाणु हमले की धमकी से भारत पीछे हट जायेगा. भारत की सैन्य कार्रवाई की इसलिए भी उम्मीद नहीं थी, क्योंकि सात मई को देश में मॉक ड्रिल होनी थी. इस बार की भारतीय कार्रवाई कई अर्थों में अलग थी. न सिर्फ उन्नत हथियारों व तकनीक का इस्तेमाल किया गया, आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने से पहले और बाद में ड्रोन और उपग्रहों के जरिये उनकी मॉनीटरिंग भी की गयी. यह सेनाओं की संयुक्त कार्रवाई थी, जिसमें उच्च स्तर का तालमेल था.
संयुक्त कार्रवाई में तालमेल बनाने के लिए जिम्मेदार मुख्यालय ने हर पहलू पर बारीक नजर रखी. सैन्य कार्रवाई के बाद साझा ब्रीफिंग में ध्वस्त आतंकी ठिकानों के वीडियो जारी किये गये, ताकि कोई संदेह न हो. भारतीय कार्रवाई के तुरंत बाद पाकिस्तान ने यह झूठा दावा किया कि उसने दो से छह भारतीय युद्धक विमानों को मार गिराया है. भारत ने इन दावों को निराधार बताया. अपने दावे के पक्ष में पाकिस्तान ने जो वीडियो पेश किये, वे भारत में ट्रेनिंग के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हुए युद्धक विमानों के वीडियो और एयर वारफेयर के वीडियो गेम्स थे, जिनका भारत ने खंडन किया. पाकिस्तान के लिए यह अपनी इज्जत बचाने की बेचैन कोशिश थी. भारत द्वारा पहले की गयी सर्जिकल और एयर स्ट्राइक की तरह पाकिस्तान इस बार जान-माल की क्षति को छिपा नहीं पाया. पाक प्रधानमंत्री बढ़ा-चढ़ाकर कह रहे थे कि भारत ने 70-80 युद्धक विमानों को मोर्चे पर लगाया था.
भारत की जवाबी कार्रवाई का क्या असर पड़ेगा? पहले भारत आतंकी हमले की ‘कड़ी निंदा’ करता था. इस कारण पाकिस्तान ने भारत में सीमापार आतंकवाद जारी रखा. उड़ी में हुए आतंकी हमले का भारत ने जब जवाब दिया, तो अगले तीन साल तक आतंकी गतिविधियां कम रहीं. फिर पुलवामा हमले के जवाब में भारत ने बालाकोट स्थित आतंकी शिविरों पर एयर स्ट्राइक की. पुलवामा और पहलगाम हमले के बीच छह साल का अंतर है. भारत ने चूंकि पहलगाम हमले का जोरदार जवाब दिया है, ऐसे में अगले कुछ साल तक आतंकी हमले कम होने की उम्मीद है. क्या पाकिस्तान इसका जवाब देगा? अपनी इज्जत बचाने के लिए कुछ न कुछ तो करेगा ही. नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की बैठक के बाद शहबाज शरीफ ने सेना प्रमुख से कार्रवाई करने के लिए कहा है.
पाकिस्तान से यह संदेश भी आ रहा है कि भारत यदि अपनी सैन्य कार्रवाई को और नहीं बढ़ाता, तो इस्लामाबाद कुछ नहीं करेगा. हालांकि शर्मिंदा पाक सेना को अपनी छवि बचाने के लिए कुछ करना ही होगा. तब तो और भी, जब बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में उसे मुंह की खानी पड़ी है. इमरान खान को जेल में बंद करने के कारण भी वह अलोकप्रिय हो गयी है. उसके पास संसाधनों की भी कमी है. ऐसे में, उसकी तरफ से किसी बड़ी कार्रवाई की आशंका नहीं है. फिलहाल भारत-पाक के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने तीसरे पक्ष के जरिये संवाद स्थापित कर लिया है और अगले कुछ दिनों में ही तस्वीर पूरी तरह साफ हो पायेगी.
भारत की सैन्य क्षमता और हथियार पाकिस्तान की तुलना में बेहतर है. ऐसे में, पाक सेना अगर कोई कार्रवाई करती है, तो वह नियंत्रण रेखा के आसपास तक ही सीमित होगी. पाक सेना की एक बड़ी चिंता यह भी है कि चूंकि उसकी तरफ से शिमला समझौते को रद्द कर दिया गया है, जिससे नियंत्रण रेखा की प्रासंगिकता नहीं बची है, ऐसे में भारतीय सेना एलओसी के उस पार पाक सैन्य पोस्ट पर कब्जा भी जमा सकती है, जो पाक सेना के लिए एक और बेइज्जती होगी.
पाकिस्तान फिलहाल कई मुश्किलों का सामना कर रहा है. भारत ने पहलगाम हमले का करारा जवाब उसे दिया है. सिंधु जल संधि को स्थगित करने के भारत के फैसले से पाक आबादी और उसकी अर्थव्यवस्था की परेशानी बढ़ेगी. भारत अगर पाकिस्तान के जल प्रवाह में बीस फीसदी की भी कटौती करता है, तो उसकी खरीफ फसल का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होगा. ‘डॉन’ में छपी एक ताजा रिपोर्ट बताती है कि खानपुर बांध में, जहां से इस्लामाबाद और रावलपिंडी की जलापूर्ति की जाती है, सिर्फ पैंतीस दिन का पानी बचा है. हालांकि सिंधु जल संधि के स्थगित होने का इस बांध की जलापूर्ति से कोई लेना-देना नहीं, लेकिन इससे पाकिस्तान में जल संकट का आभास तो होता ही है. ऐसे में पाकिस्तान को तय करना है कि वह क्या करेगा. हम सिर्फ प्रतीक्षा ही कर सकते हैं.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)