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निर्यात पर जोर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राज्यों से निर्यात बढ़ाने का आह्वान महत्वपूर्ण है. उन्होंने स्थानीय उत्पादों के उपभोग को प्रोत्साहित करने के लिए भी कहा है, ताकि आयात पर निर्भरता कम की जा सके.

वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 420 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं तथा 254 अरब डॉलर मूल्य की सेवाओं का रिकॉर्ड निर्यात किया था. लगातार बढ़ते निर्यात से यह इंगित होता है कि भारत में उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं के प्रति अंतरराष्ट्रीय बाजार में भरोसा बढ़ रहा है. लेकिन निर्यात के साथ-साथ आयात में बढ़ोतरी चिंता की बात है, जिसके कारण व्यापार घाटा और चालू खाते का घाटा बढ़ता जा रहा है.

वर्तमान वित्त वर्ष 2022-23 के पहले चार महीनों (अप्रैल-जुलाई) में ही व्यापार घाटा 100 अरब डॉलर से अधिक हो चुका है. इस पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राज्यों से निर्यात बढ़ाने का आह्वान महत्वपूर्ण है. उन्होंने स्थानीय उत्पादों के उपभोग को प्रोत्साहित करने के लिए भी कहा है, ताकि आयात पर निर्भरता कम की जा सके. उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी के प्रारंभिक दौर में ही प्रधानमंत्री मोदी ने देश को आत्मनिर्भर बनाने तथा वैश्विक आपूर्ति शृंखला में भारतीय उत्पादों की हिस्सेदारी बढ़ाने पर जोर दिया था.

बड़ी आबादी होने के कारण भारतीय बाजार का आकार भी बहुत बड़ा है. अगर हम स्थानीय उत्पादों का उपभोग करें, तो उत्पादन भी बढ़ेगा और रोजगार व आमदनी के अधिक अवसर भी पैदा होंगे. साथ ही, हम कई वस्तुओं के आयात को कम कर व्यापार घाटे को भी कम कर सकते है. निर्यात बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा अनेक पहलें की गयी हैं, जिनमें दो कार्यक्रम- उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआइ स्कीम) तथा कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ाने के लिए किसान व निर्यातकों के बीच संपर्क अभियान- विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं.

पीएलआइ स्कीम के तहत वैश्विक स्तर के गुणवत्तापूर्ण निर्यात के लिए उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसमें उत्पादकों को वित्तीय और तकनीकी सहयोग मुहैया कराया जा रहा है. कृषि उत्पादों के निर्यात में लगातार बढ़त है. इसके लिए केंद्र सरकार राज्य सरकारों के माध्यम से जिला स्तर के अधिकारियों के सहयोग से किसानों से निर्यातकों का संपर्क कराने की प्रक्रिया चला रही है.

एक बड़ी समस्या यह है कि राज्यों के अधिकारी तथा उत्पादकों को निर्यात प्रक्रिया के बारे कम जानकारी होती है. ऐसी कमियों को दूर किया जाना चाहिए. निर्यात पर बल देने के प्रधानमंत्री मोदी के आग्रह का महत्व इसलिए भी है कि अगर निर्यात के लायक अच्छी गुणवत्ता के वस्तुओं का उत्पादन बढ़ता है, तो घरेलू उपभोक्ताओं को भी बेहतर चीजें उपलब्ध होंगी. प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी रेखांकित किया है कि अगर उत्पादन और निर्यात में वृद्धि होती है, तो अधिक राजस्व संग्रहण भी हो सकेगा.

अगले वर्ष भारत को जी-20 समूह की अध्यक्षता मिलेगी. उन्होंने राज्यों को इस मौके का अधिकाधिक लाभ उठाने की सलाह भी दी. इस समूह के देश दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं और उनके साथ गहरे व्यापारिक संबंध राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के साथ राज्यों के लिए भी लाभकारी होंगे. आशा है कि राज्य सरकारें प्रधानमंत्री मोदी की सलाह पर अमल कर निर्यात बढ़ाने को प्राथमिकता देंगी.

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