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कैप्टन कूल हैं अजिंक्य रहाणे

कैप्टन कूल हैं अजिंक्य रहाणे

ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गयी भारतीय टीम की मेलबॉर्न में जीत की तो चर्चा हुई है, लेकिन टीम के कप्तान अजिंक्य रहाणे को वह श्रेय नहीं मिला, जिसके वह हकदार थे. यह जीत ऐतिहासिक है. जो टीम 10 दिन पहले अपने न्यूनतम टेस्ट स्कोर 36 रन पर सिमट गयी हो, वह अगले टेस्ट में विराट कोहली, मोहम्मद शमी जैसे स्टार खिलाड़ियों के बिना और नये तीन खिलाड़ियों- शुभमन गिल, ऋषभ पंत और मोहम्मद सिराज के साथ उतरे और उसी ऑस्ट्रेलियाई टीम को आठ विकेट से हरा दे.

यह कोई साधारण उपलब्धि नहीं है. भारतीय टीम ने टॉस गंवा दिया था और गेंदबाज उमेश यादव मैच के बीच में चोट खा गये थे, लेकिन कप्तान रहाणे ने पूरे मैच की तस्वीर बदल दी. रहाणे ने न कोई हंगामा किया, न बेवजह की आक्रामकता दिखायी. उन्होंने बड़ी शांति और धैर्य से टीम का नेतृत्व किया और खुद शतक लगा कर पूरी टीम को प्रेरित किया.

भारतीय टीम जब दूसरे दिन बल्लेबाजी के लिए उतरी, तो चेतेश्वर पुजारा और शुभमन गिल के विकेट गंवा दिये थे. इसके बाद रहाणे के ऊपर सारा दारोमदार आ गया था. उन्होंने सधी हुई पारी खेली. धीरे-धीरे पारी को संवारा और ऋषभ पंत और रवींद्र जडेजा के साथ साझेदारियां बनायीं और अपना 12वां टेस्ट शतक लगाया. यही शतक भारतीय टीम की जीत की आधारशिला बना. भारतीय टीम की जीत किसी चमत्कार से कम नहीं है, क्योंकि टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में अपने सबसे कम स्कोर पर आउट होना और अगले ही मैच में ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में ही हरा देना कोई छोटी उपलब्धि नहीं है.

इस जीत की चर्चा लंबे समय तक रहेगी. रहाणे जब टॉस के लिए मैदान में उतरे, तो शायद ही किसी ने सोचा होगा कि भारतीय टीम ऐसा कमाल कर दिखा पायेगी. रहाणे पर दबाव का तो आप अंदाज लगा सकते हैं. वह मध्यक्रम में बल्लेबाजी करते हैं, लेकिन वनडे और टी-20 में वे सलामी बल्लेबाज के रूप में खेलते हैं.

उन्होंने 2011 में इंग्लैंड के खिलाफ अपने कैरियर की शुरुआत की थी और 2013 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना टेस्ट कैरियर शुरू किया था. वह भारतीय टेस्ट टीम के उपकप्तान जरूर हैं, लेकिन टीम में उनकी जगह स्थायी नहीं है. वह लगातार अंदर बाहर होते रहते हैं.

भारत के पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज फारुख इंजीनियर ने मीडिया से बातचीत में रहाणे को फाइटर बताया है. पूर्व क्रिकेटर प्रवीण आमरे ने कहा कि जिस तरह रहाणे ने युवा खिलाड़ियों पर भरोसा जताया, वह प्रशंसनीय है. नये खिलाड़ियों के साथ उतरना रहाणे का बड़ा फैसला था. उन्हें यकीन था कि ये दोनों युवा खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं और इन खिलाड़ियों ने भी यह अवसर हाथ से जाने नहीं दिया.

पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर शोएब अख्तर ने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा कि भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को बोरी में बांध कर मारा. शोएब अख्तर ने रहाणे की तारीफ की और कहा कि वह बेहद शांत और सौम्य हैं. रहाणे मैदान पर चिल्लाते नहीं हैं, चुपचाप अपना काम करते हैं.

उनकी कप्तानी में खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया. रहाणे का शतक मैच का टर्निंग प्वाइंट भी था. भारत के तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा का कहना है कि रहाणे गेंदबाजों के कप्तान हैं. ईशांत शर्मा चोट के कारण ऑस्ट्रेलिया दौरे से बाहर हैं. उन्होंने कहा कि रहाणे शांत रहते हैं और आत्मविश्वास से ओत-प्रोत हैं.

वह गेंदबाजों के कप्तान हैं. गेंदबाजों से पूछते हैं कि कैसी फील्ड चाहिए. वह कभी आदेश नहीं देते हैं. गौतम गंभीर ने कहा है कि रहाणे जैसे हैं, उन्हें वैसा ही रहना चाहिए. गंभीर ने कहा कि रहाणे और कोहली अलग-अलग व्यक्तित्व हैं. रहाणे विराट कोहली नहीं हो सकते हैं, विराट कोहली एमएस धोनी नहीं हो सकते हैं और धोनी कभी सौरव गांगुली नहीं हो सकते हैं.

इस जीत से विराट कोहली की कप्तानी पर भी सवाल उठ रहे हैं. कोहली के लिए वर्ष 2020 कुछ खास नहीं रहा है. कोहली ने तीनों फॉर्मेट में एक भी शतक नहीं लगाया है. उनकी कप्तानी में न्यूजीलैंड में भारतीय टीम ने टेस्ट सीरीज गंवायी. ऑस्ट्रेलिया में एडीलेड में खेले गये पहले टेस्ट मैच में टीम ने आठ विकेट से शर्मनाक हार झेली और एडीलेड की दूसरी पारी में भारतीय टीम मात्र 36 रन ही बना सकी, जो टेस्ट क्रिकेट में टीम का सबसे कम स्कोर है.

इसके बाद जैसे ही विराट भारत लौटे और अजिंक्य रहाणे को कप्तानी मिली, भारतीय टीम ने मेलबर्न जबर्दस्त वापसी की और आठ विकेट से मैच जीत कर और सीरीज 1-1 से बराबर कर ली. सीमित ओवर क्रिकेट में विराट कोहली की कप्तानी की तुलना रोहित शर्मा से की जाने लगी है और टेस्ट क्रिकेट में रहाणे से. विराट की कप्तानी में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने आज तक एक भी आइपीएल खिताब नहीं जीता है, जबकि रोहित शर्मा की कप्तानी में मुंबई इंडियंस पांच खिताब जीत चुकी है.

इस बात को लेकर चर्चा होती रही है कि सीमित ओवर क्रिकेट में विराट की जगह रोहित शर्मा को कप्तानी सौंप दी जानी चाहिए. मेलबर्न में भारतीय टीम की जीत के बाद यह विमर्श भी शुरू हो गया है कि रहाणे को टेस्ट टीम की कप्तानी सौंप दी जानी चाहिए, पर कोहली का इतना दबदबा है कि इस पर कोई फैसला होने की उम्मीद कम है.

यह सच्चाई है कि इस वक्त विराट कोहली के स्तर का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कोई बल्लेबाज नहीं है, लेकिन यह भी सच है कि मैदान में कोहली बेवजह आक्रामक दिखायी देते हैं. आक्रामक और अहंकारी होने के बीच बहुत महीन फर्क है. भारतीय कप्तान विराट कोहली इस लाइन को कई बार पार करते नजर आते हैं. अक्सर विरोधी खिलाड़ियों से उलझते हैं, विरोधी बल्लेबाज के आउट होने पर टिप्पणी करते हैं और अंपायर के फैसलों पर सार्वजनिक रूप से प्रतिक्रिया देते नजर आते हैं.

सौरभ गांगुली को आक्रामक कप्तान के रूप में याद किया जाता है, लेकिन वह कभी विवादित नहीं रहे. कोच रवि शास्त्री भी कोहली को नियंत्रित नहीं करते दिखायी देते हैं. कुछेक चयनकर्ता तो इसे विराट की खासियत बताते हैं. एक और चिंता की बात है कि टीम में ऐसा कोई खिलाड़ी नहीं है, जो उनके फैसलों से असहमत होने की हिम्मत कर सके. ऐसे में धौनी की याद आना स्वाभाविक है. धौनी ही एकमात्र खिलाड़ी थे, जो कोहली को सलाह देते थे.

चार महीने तक सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित क्रिकेट प्रशासकीय कमेटी का हिस्सा रहे जाने माने इतिहास लेखक रामचंद्र गुहा ने हाल में एक लेख लिखा था, जिसमें कोहली को भारतीय क्रिकेट इतिहास के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से कहा था, पर उन पर कई सवाल भी खड़े किये थे. गुहा का कहना था कि बीसीसीआइ जैसी संस्था कोहली के आगे बौनी पड़ गयी हैं. कोहली को अपनी सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ भारतीय टीम का कप्तान बनते देखना चाहते हैं, लेकिन उन्हें बतौर कप्तान विनम्रता लानी पड़ेगी.

Posted By : Sameer Oraon

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