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ट्रांसजेंडर के लिए स्कूल

रमेश ठाकुर वरिष्ठ पत्रकार किन्नर (ट्रांसजेंड) समाज के लोगों को हम-आप की तरह बराबरी का हक देने के उद्देश्य से उनके लिए बहुत ही सराहनीय पहल की जा रही है. केरल के जिले अर्नाकुलम के थ्रिक्काकरा में पहले ट्रांसजेंड स्कूल की शुरुआत हुई है. इस स्कूल का नाम ‘सहज इंटरनेशनल स्कूल’ रखा गया है. विगत […]

रमेश ठाकुर
वरिष्ठ पत्रकार
किन्नर (ट्रांसजेंड) समाज के लोगों को हम-आप की तरह बराबरी का हक देने के उद्देश्य से उनके लिए बहुत ही सराहनीय पहल की जा रही है. केरल के जिले अर्नाकुलम के थ्रिक्काकरा में पहले ट्रांसजेंड स्कूल की शुरुआत हुई है. इस स्कूल का नाम ‘सहज इंटरनेशनल स्कूल’ रखा गया है.
विगत दिनों इस स्कूल का उद्घाटन ट्रांसजेंड कार्यकर्ता, लेखक एवं एक्टर कल्कि सुब्रमण्यम ने किया. यह स्कूल ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग’ (एनआइओएस) के साथ मिल कर काम करेगा. देश में अपनी तरह के इस पहले स्कूल के खुलने से उम्मीद है कि उन किन्नरों को शिक्षा का समान अवसर मिलेगा, जो पढ़ाई छोड़ देते थे. नये लर्निंग सेंटर से उनको अपनी पढ़ाई जारी रखने में मदद मिलेगी. शिक्षा के बल पर ही वे समाज की दुश्वारियांे से लड़ सकेंगे. बिना शिक्षा के कोई भी अपनी मंजिल हासिल नहीं कर सकता.
किन्नरों के प्रति समाज में हमेशा से एक क्रूर धारणा रही है उन्हें इंसानी दर्जा न देना. निश्चित रूप से सहज इंटरनेशनल स्कूल लोगों की इस सोच को बदलने का काम करेगा. स्कूल में किन्नरों को सॉफ्ट स्किल्स, सिलाई, कार्बनिक खेती, व्याख्यान, व्यक्तित्व विकास के लिए प्रशिक्षण दिया जायेगा.
यह स्कूल किन्नर समुदाय के लिए शिक्षा का वैकल्पिक केंद्र एनआइओएस का विशिष्ट मान्यता प्राप्त संस्थान होगा. यहां से शिक्षा ग्रहण करने के बाद वे हर जगह नौकरी करने के लिए स्वतंत्र होंगे. उनके साथ किसी भी तरह का कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा. स्कूल की शुरुआत पहले सत्र से एक प्रवासी और दिव्यांग ट्रांसजेंड समेत 10 छात्रों से की गयी है. गौरतलब है कि पूरे देश के किन्नर इस स्कूल का हिस्सा बन सकेंगे.
सबसे अच्छी बात यह है कि प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए और शिक्षा से वंचित किन्नर समुदाय को अपने सामाजिक स्थिति को मजबूत बनाने में मदद करने के लिए शिक्षकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, डॉक्टरों और इंजीनियरों आदि प्रशिक्षक सदस्यों की एक टीम इसमें अपना योगदान दे रही है.
इसमें सहयोग देने के लिए हर तरफ से हाथ उठ रहे हैं. आयोजक इस स्कूल को खोलने के लिए वर्षों से मेहनत कर रहे थे. स्कूल की जगह के लिए उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. लोगों ने किन्नरों के नाम स्कूल खोले जाने के लिए जगह देने से मना कर दिया. लेकिन, नेक-नीयत से कोई काम शुरू करो, तो कोई मसीहा बन कर सामने आ ही जाता है. सीएमसी विमल प्रोविंस नामक संगठन ने थ्रिक्काकरा में 1.5 एकड़ प्लॉट में स्थित एक रेंट फ्री बिल्डिंग लीज पर दी, जिसके बाद ही इस स्कूल का सपना साकार हो सका.

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