पिछले दिनों आपके अखबार में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का साक्षात्कार पढ़ने को मिला. इसमें उन्होंने एक फेडरल फ्रंट बनाने की सद्भावना व्यक्त की है, जिसमें जनता दल यूनाइटेड शामिल होगा.
भाजपा-एनडीए से इन दिनों नीतीश की दूरी जगजाहिर है. वह कांग्रेस के साथ गंठबंधन से भी इनकार करते हैं, लेकिन उसके समर्थन से सरकार चलाने में उन्हें कोई परहेज नहीं. अपने व्यक्तिगत आकलन के अनुसार, नीतीश जी बिहार और उत्तर प्रदेश में नरेंद्र मोदी को बड़ी सफलता मिलने की संभावना नहीं देखते.
जनता दल से समता पार्टी, फिर जदयू का सफर यह बताता है कि नीतीश समय के सांचे में खुद को ढालने में निपुण हैं. वे चुनावी सर्वेक्षणों को तरजीह नहीं देते, न उनसे डरते हैं. यह बात उनकी निर्भीकता की परिचायक है, जो बढ़िया है. खैर, देखें ऊंट किस करवट और कितनी देर बैठता है.
भगवान ठाकुर, तेनुघाट, बोकारो