1978 में एक देश के बारे में कहा जाता था कि वह 13 खिलाड़ियों से खेलता है. उसके अंपायर भी विश्वविख्यात हो गये थे. तब न्यूट्रल अपायरिंग की व्यवस्था होनी शुरू की गयी. तब भी स्थिति जस की तस रही. सबसे ज्यादा खिलाड़ी पगबाधा के शिकार होते थे.
बॉल पैड पर लग कर कैच पकड़ा गया, जमीन से उठाया गया, बोगस अपील पर अंपायर अचानक जागता है और आउट दे देता है. इसका भी अंत करने के लिए डीआरएस की व्यवस्था की गयी. आज की भी स्थिति यह है कि डीआरएस नहीं होता तो कितने खिलाड़ियों का जीवन ही बरबाद हो जाता.
किशन अग्रवाल, रातू रोड, रांची
