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रास्ता निकालने की कला अटल जी का प्रेरणादायी पहलू

ब्रह्मानंद मिश्र आजादी के बाद घरेलू और विदेश नीति के मोर्चे पर देश की राजनीति की दशा और दिशा तय करने में अटल बिहारी वाजपेयी का अहम किरदार रहा है. वर्ष 1996 में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से पहले वाजपेयी जी नौ बार लोकसभा सदस्य और दो बार राज्यसभा सदस्य रहते हुए अपने चार […]

ब्रह्मानंद मिश्र
आजादी के बाद घरेलू और विदेश नीति के मोर्चे पर देश की राजनीति की दशा और दिशा तय करने में अटल बिहारी वाजपेयी का अहम किरदार रहा है. वर्ष 1996 में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से पहले वाजपेयी जी नौ बार लोकसभा सदस्य और दो बार राज्यसभा सदस्य रहते हुए अपने चार दशक के संसदीय जीवन में विदेश मंत्री, नेता विपक्ष और कई महत्वपूर्ण स्टैंडिंग कमेटी के चेयरपर्सन के रूप में विशिष्ट राजनीतिक मुकाम हासिल कर चुके थे. ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में जन्मे वाजपेयी जी की ॉपढ़ाई विक्टोरिया (अब लक्ष्मीबाई) कॉलेज, ग्वालियर और डीएवी कॉलेज कानपुर में हुई. राजनीति विज्ञान में एमए करनेवाले वाजपेयी अपने छात्र जीवन से ही राष्ट्रवादी राजनीति में मुखर रहे हैं.

पढ़ाई के दौरान उन्होंने वर्ष 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में भाग लिया था. वर्ष 1951 में वह भारतीय जनसंघ का हिस्सा बने और वर्ष 1957 में पहली बार संसद में दाखिल हुए. उनकी राजनीतिक कर्मभूमि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और गुजरात रही. उन्होंने अपने संसदीय कैरियर की शुरुआत उत्तर प्रदेश के बलरामपुर लोकसभा सीट जीत कर की. वर्ष 1951 में भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य, 1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष, 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री, 1980-86 भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे. 16-31 मई, 1996 पहला कार्यकाल, 19 मार्च 1998 से 26 अप्रैल 1999 तक दूसरा और फिर 13 अक्तूबर, 1999 से 22 मई, 2004 तक प्रधानमंत्री के रूप में उनका तीसरा कार्यकाल 24 दलों के साथ सरकार चलाने, भारत-पाक संबंधों को बेहतर करने का प्रयास, करगिल युद्ध में विजय और परमाणु परीक्षण जैसी उपलब्धियों से भरा हुआ है.

सर्वसमावेशी व्यक्तित्व
चार दशक के राजनीतिक कैरियर में पार्टी के अंदर और बाहर अपने सर्व समावेशी व्यक्तित्व को बरकरार रखने और असहमतियों के बीच रास्ता निकालने की कला ही उनका सबसे प्रेरणादायी पहलू रहा है. एक ओर संघ के साथ प्रतिबद्धता, तो दूसरी ओर ज्योति बसु, हीरेन मुखर्जी, चंद्रशेखर जैसे नेताओं के साथ उनका बेहतर तालमेल रहा. कश्मीर के फारूख अब्दुल्ला की पार्टी से लेकर तमिलनाडु की जयललिता की एआइडीएमके पार्टी को साथ लेकर लगभग दो दर्जन दलों के साथ पांच साल कार्यकाल पूरा करना किसी चमत्कार से कम नहीं रहा. उनके उदारता पूर्ण व्यक्तित्व का ही नतीजा था कि नीतीश कुमार, फारूख अब्दुल्ला, ममता बनर्जी ने उनके साथ सहर्ष कार्य करना स्वीकार किया.
विकास के मोर्चे पर कामयाबी
औद्योगिक विकास दर : 2001-02 में औद्योगिक विकास दर 2.61 प्रतिशत थी, एनडीए के अंतिम वर्ष में 7.32 प्रतिशत पर पहुंच गयी थी.
राजमार्गों में बढ़ोतरी : नौवीं पंचवर्षीय योजना (1997-2002) यानी एनडीए शासन के दौरान सर्वाधिक 23,814 किलोमीटर लंबाई की सड़कें जुड़ीं. एक रिपोर्ट के मुताबिक 1998 से 2000 के बीच 2360 किमी राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण हुआ, जबकि 2005-07 के बीच मात्र 753 किमी का कार्य पूरा हो सका.
रोजगार वृद्धि : एनएसएसओ के अनुसार 1990-2000 से 2004-2005 तक (इस अवधि में एनडीए का कार्यकाल भी शामिल) प्रतिवर्ष औसतन एक करोड़ बीस लाख नये रोजगार का सृजन हुआ.
संस्कृति और साहित्य से जुड़ाव
वाजपेयी जी सत्ता के शिखर पर पहुंचे ऐसा राजनेता हैं, जिनका भाषा, साहित्य और संस्कृति से सबसे अधिक सरोकार रहा है. हिंदी भाषा के प्रति उनका प्रेम अंत:करण से था. उनके तथ्य और तर्क भी साहित्य से लबरेज होते हैं. जनता सरकार में विदेशी मंत्री रहने के दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण दिया. उन्होंने हिंदी मासिक ‘राष्ट्रधर्म’, हिंदी साप्ताहित ‘पांचजन्य’, दैनिक ‘स्वदेश’ और ‘वीर अर्जुन’ का संपादन किया. ‘मेरी संसदीय यात्रा’ (चार खंडों में), ‘मेरी इक्यावन कविताएं’, ‘संकल्प काल’, ‘शक्ति से शांति’, ‘संसद में चार दशक’ (तीन खंडों में भाषण), 1957-95, ‘लोकसभा में अटल जी’ (भाषणों का संग्रह), ‘अमर बलिदान’, ‘कैदी कविराज की कुंडलियां’ (इमरजेंसी के दौरान जेल में लिखी गयी कविताओं का संग्रह), न्यू डायमेंशन ऑफ फॉरेन पॉलिसी (1977-79 में विदेश मंत्री के रूप में भाषण संग्रह), ‘जनसंघ और मुसलमान’ और ‘अमर आग है’ (कविता संग्रह) उनकी प्रमुख कृतियां हैं.
अटल बिहारी वाजपेयी
जन्म : 25 दिसंबर, 1924, ग्वालियर
पिता : कृष्णा बिहारी
माता : कृष्णा देवी
शिक्षा : एमए, राजनीति विज्ञान
सम्मान : भारतरत्न (2014), पद्म विभूषण (1992), लोकमान्य तिलक पुरस्कार, भारतरत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत पुरस्कार (1994), मानद डॉक्ट्रेट (कानपुर विवि,1993).
Prabhat Khabar Digital Desk
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