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न हो देवताओं का अनादर

देवी-देवता व राष्ट्रपुरुषों के छायाचित्रवाले पटाखे खरीदने का मतलब उनका अनादर करना कहा जा सकता है. ऐसे छायाचित्र रहे पटाखे छोड़ने के बाद उनके कागजों के टुकडे बिखर जाते हैं. उन पर चलने पर उनका अनादर होता है. देवताओं का भक्तिभाव से पूजन किया जाता है और राष्ट्रपुरुषों ने तो देश के लिए अपने सभी […]

देवी-देवता व राष्ट्रपुरुषों के छायाचित्रवाले पटाखे खरीदने का मतलब उनका अनादर करना कहा जा सकता है. ऐसे छायाचित्र रहे पटाखे छोड़ने के बाद उनके कागजों के टुकडे बिखर जाते हैं.
उन पर चलने पर उनका अनादर होता है. देवताओं का भक्तिभाव से पूजन किया जाता है और राष्ट्रपुरुषों ने तो देश के लिए अपने सभी सुखों का त्याग किया है. यह बातें ध्यान में रखते हुए जोश में उनका अनादर न हो, इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए. ऐसे पटाखों की बिक्री होने के कारण हर साल वह बाजार में आते हैं. यह पटाखे क्यों नहीं खरीदने चाहिए, इसकी वजह जानना जरूरी है.
आदरणीय चीजों के पटाखों का निर्माण करनेवालों पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी. यह बात सरकार को पटाखों का निर्माण करनेवाली कंपनियों से कहनी चाहिए और उन पर नजर रख कर वह किस प्रकार के पटाखों का निर्माण करते हैं, ध्यान देना चाहिए. आदरणीय चीजों के बारे में सोच समझ कर बर्ताव करना ही उचित है. यह ध्यान में रखते हुए उनका अनादर टाल कर उनका दिल से आदर करे.
राहुल लोखंडे, ई-मेल से

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