उड़ी हमले के बाद देशभर में भारी आक्रोश था. पूरा देश केंद्र सरकार से जवाबी कार्रवाई की मांग कर रहा था. जनभावनाओं के अनुरूप तथा सेना के मनोबल को और धारदार करने के लिए केंद्र सरकार ने मजबूत इच्छा शक्ति दिखायी और सेना ने अदम्य पराक्रम दिखाते हुए सफल सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया. इस घटना के बाद पूरे देश ने भारत सरकार की सराहना की. विरोधी भी तारीफ करते नजर आये. देश एकजुट दिखा.
लेकिन, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वीडियो संदेश के जरिये गंदी राजनीति शुरू की और ढंके हुए शब्दों में सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांग डाला. देश के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने तो कभी सेना के उक्त कार्रवाई पर ऊंगली नहीं उठाई फिर केजरीवाल को सेना के साख को गिराने का अधिकार किसने दिया?
क्या पाकिस्तान से आम आदमी पार्टी को खूब चंदा आता है, इसलिए पाकिस्तान की भाषा बोल रहे केजरीवाल? उधर, कांग्रेस के संजय निरुपम ने इसे फर्जी सर्जिकल स्ट्राइक तक कह डाला! दिग्विजय सिंह और चिदंबरम ने भी सेना के कार्रवाई पर सवाल उठाया है. नेताओं को सेना का अपमान करने का कोई हक नहीं. राजनीति अपनी जगह है, लेकिन तथाकथित नेता राष्ट्रीय सुरक्षा से तो खिलवाड़ करने से बचें और सेना का छीछालेदर न करें.
नारायण कैरो, लोहरदगा