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दाऊद के पाक-ठिकाने
बीते वर्षों का इंतजार आखिर रंग लाया है. ‘मोस्ट वांटेड डॉन’ कहे जानेवाले दाऊद इब्राहिम के पते-ठिकाने के बारे में भारतीय खुफिया एजेंसियों की खोज-खबर को संयुक्त राष्ट्र की एक समिति ने सही पाया है. नियम 1267 के अंतर्गत लगाये जानेवाले प्रतिबंधों की निगरानी करनेवाली यूएन की इस समिति को भारत सरकार ने दाऊद इब्राहिम […]
बीते वर्षों का इंतजार आखिर रंग लाया है. ‘मोस्ट वांटेड डॉन’ कहे जानेवाले दाऊद इब्राहिम के पते-ठिकाने के बारे में भारतीय खुफिया एजेंसियों की खोज-खबर को संयुक्त राष्ट्र की एक समिति ने सही पाया है. नियम 1267 के अंतर्गत लगाये जानेवाले प्रतिबंधों की निगरानी करनेवाली यूएन की इस समिति को भारत सरकार ने दाऊद इब्राहिम के पाकिस्तान स्थित नौ ठिकानों की जानकारी सौंपी थी. समिति ने इनमें से छह ठिकानों की जानकारी को सही मान कर स्वीकार कर लिया है.
यूएन के नियम 1267 में व्यवस्था दी गयी है कि जिस व्यक्ति पर अलकायदा और आइएसआइएस जैसे आतंकी संगठनों से संबंध रखने का संदेह हो, उसके विदेश जाने और हथियार हासिल करने पर सदस्य देश रोक लगायें और ऐसे व्यक्ति की धन-संपदा को जब्त कर लें. ऐसे में तकनीकी तौर पर देखें, तो यूएन समिति के इस स्वीकार से दाऊद को पकड़ कर भारत लाने और अदालती कार्रवाई के जरिये सजा देने के मिशन को कोई विशेष गति नहीं मिलती दिखती. दरअसल, किसी एक देश का घोषित अपराधी एक बार सीमा पार करके दूसरे देश में पहुंच जाये, तो मामले में सारा कुछ अंतरराष्ट्रीय कायदों और देशों के आपसी संबंधों के सहारे तय होने लगता है.
यही वजह रही, जो दुनिया का सर्वाधिक वांछित आतंकवादी करार दिया गया ओसामा बिन लादेन बरसों पाकिस्तान के एबटाबाद में घर बनाये रहा, लेकिन इसे कब्जे में लेने के प्रयास किसी अंतरराष्ट्रीय मंच से करने की जगह अमेरिका ने सीधे-सीधे उसके ठिकाने पर धावा बोलना उचित समझा. भारत के लिए दाऊद के मामले में ठीक ऐसा कर पाना निकट भविष्य में तो संभव नहीं लगता, क्योंकि ऐसा करने से पहले आतंकवाद विरोधी देशों का मत भारत को अपने पक्ष में करना होगा. फिर भी, पाकिस्तान स्थित पते-ठिकाने को यूएन समिति द्वारा सही करार देने का सांकेतिक महत्व बहुत बड़ा है. इससे दाऊद पर शिकंजा कसने के मामले में भारत एकबारगी बहुत आगे बढ़ गया है. पाकिस्तान की सरकार आधिकारिक तौर पर दाऊद के कराची या फिर पाकिस्तान के किसी अन्य शहर में होने के भारतीय खुफिया एजेंसी के दावे से लगातार इनकार करती आयी है. लेकिन, अब उसके पास ऐसा कहने का कोई नैतिक आधार नहीं रहा.
दूसरे, अगर यूएन के मंच से यह बात उठायी जाये कि भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देनेवाले व्यक्तियों को पाकिस्तान ढके-छुपे पनाह देता रहा है, तो अब इस बात को भी यूएन के सदस्य देशों के बीच झटके में खारिज करना पाकिस्तान के लिए मुश्किल होगा. उम्मीद की जानी चाहिए कि यूएन को साथ लेकर भारत अब दाऊद के मामले में पाकिस्तान पर दबाव बनाने की स्थिति में होगा.
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