बेशक केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार का प्रदर्शन कुल मिला कर प्रशंसनीय रहा है और उनके कामों का हिसाब और प्रचार उससे भी ज्यादा बेहतर रहा है, लेकिन स्थानीय स्तर पर जनप्रतिनिधियों का कार्य और प्रचार उनके अपने ही सरकार के स्तर का नहीं रहा है, जबकि प्रधानमंत्री लगातार इसके प्रति आगाह और जागरूक करते रहे हैं.
अगर जनप्रतिनिधियों के रवैये में बदलाव फिर भी नहीं हुआ तो सरकार के अच्छे कार्य और प्रधानमंत्री की लोकप्रियता के बाद भी प्रतिकूल परिणाम झेलना पड़ सकता है. अटल जी का कार्यकाल इसका एक उदाहरण है़
ऋषिकेश दुबे, विश्रामपुर