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अब फिल्में दिल को नहीं छूतीं
हमारे देश में हर साल छोटी-बड़ी सैकड़ों फिल्में बनती हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि फिल्म वही है, सिर्फ अभिनेता बदल दिये गये हैं. प्यार, दर्द, भक्ति से भरी फिल्में देखे वर्षों हो गये़ जब भी मन उदास हो या सुकून की तलाश हो, आज भी हम पुराने गाने ही सुनना पसंद करते हैं. आजकल […]
हमारे देश में हर साल छोटी-बड़ी सैकड़ों फिल्में बनती हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि फिल्म वही है, सिर्फ अभिनेता बदल दिये गये हैं. प्यार, दर्द, भक्ति से भरी फिल्में देखे वर्षों हो गये़ जब भी मन उदास हो या सुकून की तलाश हो, आज भी हम पुराने गाने ही सुनना पसंद करते हैं.
आजकल बिना कहानी के भी फिल्में बन जाती हैं, देखो तो समझ नहीं आता कि फिल्म देखी या समय बरबाद किया़ पहले की फिल्मों के किरदारों में एक जुनून होता था, जो आज खत्म होता जा रहा है. किसी भी किरदार में वह जान नहीं, जो पहले होती थी. पैसे कमाना सिर्फ एकमात्र मकसद बन गया है, जैसे कोई रेस हो रही हो. मनोरंजन के नाम पर गानों को जबरदस्ती दर्शकों पर थोपा जा रहा है़ सिर्फ पैसे, अश्लीलता और धोखे की बू आती है.
मनसा राम महतो, सरायकेला
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