जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार अब चर्चित हो चुके हैं. राष्ट्रविरोधी नारों के आरोप में वे तीन हफ्तों की न्यायिक हिरासत में भी रह चुके हैं. छात्र राजनीति कर वह अपने आप को दलित मसीहा तथा रूढ़िवादियों के खिलाफ खुद को पेश करते आये हैं.
लेकिन अब उन्होंने हमारे देश के सैनिकों पर घिनौना बयान देकर मर्यादा लांघ दी है़ यह घटना न सिर्फ हमें शर्मसार करती है, बल्कि यह सोचने पर मजबूर भी करती है कि क्या छात्रों को राजनीति में इतनी छूट मिलना सही है?
सोनल कु महतो, कोलकाता