देश की बढ़ती जनसंख्या चिंता का विषय है. इससे न केवल सामाजिक, बल्कि आर्थिक समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं. आज भारत की जनसंख्या एक सौ पच्चीस करोड़ से भी ज्यादा हो चुकी है. भारत दुनिया में सबसे युवा आबादी वाला देश है. यहां कि करीब 65 फीसदी आबादी युवाओं की है. इनमें से अाधी आबादी की उम्र करीब 10 से 24 वर्ष के बीच है. आनेवाले वर्षों में इन्हें रोजगार के साथ-साथ बुनियादी चीजों की भी जरूरत होगी. लेकिन, इन्हें रोजगार मुहैया कराने के लिए सरकार की ओर से कोई तंत्र विकसित नहीं किया जा रहा है.
ऐसे में अधिकतर युवा बेरोजगारी के गर्त में जा रहे हैं. वर्ष 2020 तक बेरोजगारी की समस्या और बढ़ जायेगी. आज सरकार और समाज के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि बढ़ती जनसंख्या पर कैसे काबू पाया जाये. हालांकि, सरकारी स्तर पर बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. वर्तमान में देश की मौजूदा जनसंख्या को तुरंत कम नहीं किया गया, तो आनेवाले समय में समस्या और भयानक हो जायेगी. देश में जनसंख्या वृद्धि को स्थिर करने की जरूरत है. जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए सबसे पहले इसकी ‘समस्या’ की प्रकृति को समझना जरूरी है. परिवार नियोजन के बारे में सोच बदलने की जरूरत है.
यह केवल गर्भनिरोध से जुड़ा मामला नहीं है. फैमिली प्लैनिंग को अलग तरह से देखे जाने के लिए किशोरों और युवाओं की सेहत संबंधी जरूरतों में और ज्यादा निवेश की जरूरत होगी. साथ ही साथ शादी की उम्र भी बढ़नी चाहिए, पहले बच्चे के जन्म के समय मां की उम्र और बच्चों के बीच अंतर रखने से जुड़ी जानकारी मिलनी चाहिए. इसके अलावा अजन्मे बच्चे के लिंग निर्धारण को रोकने के लिए भी प्रयास करने चाहिए. इसे शिक्षा, सामाजिक-आर्थिक स्तर, महिला सशक्तिकरण, बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और दूसरे मानव विकास सूचकों के साथ जोड़ कर देखने से ही देश की इतनी बड़ी युवा आबादी की जरूरत पूरी की जा सकती है.
Àज्ञानदीप जोशी, ई-मेल से