17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

भुलावों से भरी विदेश नीति

अगर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ईरान के प्रति इजराइल के रवैये से आंखें मूंद सकते हैं, तो उनसे भारत के हित की चिंता में नींद गंवाने की उम्मीद कैसे की जा सकती है? ओबामा ने अगर अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज को सुरक्षित निकालने के बदले में पाकिस्तान को रणनीतिक और आर्थिक मदद देने का फैसला […]

गर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ईरान के प्रति इजराइल के रवैये से आंखें मूंद सकते हैं, तो उनसे भारत के हित की चिंता में नींद गंवाने की उम्मीद कैसे की जा सकती है? ओबामा ने अगर अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज को सुरक्षित निकालने के बदले में पाकिस्तान को रणनीतिक और आर्थिक मदद देने का फैसला किया है, तो इसमें हैरानी की कोई बात नहीं है.

सितंबर में ओबामा ने मनमोहन सिंह को अच्छी मुस्कान देकर विदा कर दिया. अक्तूबर में नवाज शरीफ की खिदमत में परोसा गया छप्पन भोग भारत का हाजमा बिगाड़ सकता है. अपने अमेरिकी दौरे में मनमोहन ने पाकिस्तान को आतंकवाद का केंद्र बताया था. इसके बदले, संयुक्त वक्तव्य में शरीफ और ओबामा ने भारत को बचपना छोड़ने और कश्मीर पर बातचीत करने की नसीहत दे डाली.

यह संयोग है कि इसी बीच मेरे पास जसवंत सिंह की किताब,इंडिया एट रिस्क : मिस्टेक्स, मिसकन्सेप्संश ऑर मिसएडवेंचर ऑफ सिक्योरिटी पॉलिसी उसी हफ्ते आयी, जिस हफ्ते नवाज वाशिंगटन में थे और डॉ सिंह पहले मॉस्को और फिर बीजिंग में. जसवंत सिंह कहते हैं, भारत खतरे में है, क्योंकि इसने कभी भी रणनीतिक संस्कृति का विकास नहीं किया.

इसकी नींव नेहरू के काल में ही रख दी गयी थी, जिन्होंने ऊंचे विचारों से प्रेरित होकर ऐसी विदेश नीति की शुरुआत की, जो विचारधारा बदलने से थोड़ी ही दूर थी. उन्होंने पाकिस्तान के गठन का समर्थन इस उम्मीद में किया कि इससे उपमहाद्वीप में शांति आयेगी. अपनी आजादी के कुछ ही हफ्तों के भीतर जब पाक ने बिना किसी उकसावे के भारत पर हमला कर दिया, तब उनकी नीतियां भुलावों से भरी नजर आयी.

उन्होंने भारतीय सेना को इस युद्ध को अंजाम तक पहुंचाने से रोक दिया, क्योंकि उन्हें लगा कि शांति बेहतर विचार है. वे संयुक्त राष्ट्र और युद्ध विराम की शरण में चले गये, जो आज भी हमें लहूलुहान कर रहा है.

चीनी कहानी कहीं ज्यादा सोचीविचारी थी, लेकिन उसका नुकसान भी उतना ही बड़ा था. भारत ने तिब्बत को उसके हाल पर छोड़ दिया, क्योंकि नेहरू को उम्मीद थी कि चीन उनका अनुसरण करते हुए गुट निरपेक्षता में शामिल हो जायेगा, जो शांति के मसीहा की उनकी प्रतिष्ठा में और इजाफा करेगा.

जब माओत्से तुंग के शासनवाले चीन ने 1950 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया, तब उन्होंने बीजिंग में भारत के राजदूत केएम पणिक्कर को अपनी राय दी कि भारत चीन के साथ अपने संबंधों को काफी तवज्जो देता है. पणिक्कर ने उनका इशारा समझ लिया. यहां तक कि चीन में भारत के विदेश मंत्री को भी यह बारबार लगता रहा कि पणिक्कर चीन के सामने बारबार घुटने टेक रहे हैं.

सरदार पटेल की व्यावहारिकता ने उन्हें भविष्य को कहीं साफ देखने की शक्ति दी थी. उन्होंने विरोध में नेहरू को एक लंबा खत लिखा था. चीन द्वारा भेजे गये एक टेलीग्राम को पटेल ने सिर्फ अभद्र व्यवहार करार दिया क्योंकि इसमें केवल बेहद अगंभीर तरीके से तिब्बत में चीनी सेना के प्रवेश पर भारतीय आपत्ति को खारिज कर दिया गया था, बल्कि यह बेतुका आरोप भी लगाया गया था कि भारत विदेशी प्रभाव में काम कर रहा है.

पटेल ने कहा था कि यह किसी मित्र की भाषा होकर भविष्य के शत्रु की भाषा है. लेकिन इस शत्रु को देखने की जगह, नेहरू ने चीन में एक दोस्त देखा. नेहरू तब हजारों मौत मरे होंगे, जब 1962 में हिमालय में मिली हार के बाद, उन्हें अमेरिका के सामने हथियारों के लिए अपनी झोली फैलानी पड़ी थी.

हम सभी शांति चाहते हैं. लेकिन शांति के लिए शक्ति की जरूरत होती है. आजाद भारत ने फाजिल सैन्य क्षमता की अंगरेजों की नीति को त्याग दिया. पाकिस्तान और चीन इस नीति का महत्व समझते हैं.

आज पाकिस्तान के पास भारत से ज्यादा रणनीतिक परमाणु हथियार हैं. चीन प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य शक्ति की बराबरी करने की कोशिश में लगा है. पिछले छह दशकों में भारत, पाकिस्तान, चीन, रूस और अमेरिका के बीच रणनीतिक संबंध तो स्थिर रहे हैं, ही सीधी रेखा में चलते रहे हैं.

बड़ा सवाल यह है कि इन देशों में कमजोर कड़ी कौन है? रणनीतिक वृत्तांत कोई नैतिक किस्सा नहीं है. दोहरापन धोखा नहीं है. हर देश किसी संबंध की ताकत को इस बात से मापता है कि उसके बदले में क्या मिल सकता है? भारतीय राज्य महान लक्ष्यों के प्रति समर्पित रहा है.

डॉ सिंह पिछले एक दशक से इसलामाबाद को शांति का प्रस्ताव देते रहे हैं. लेकिन आप डगमगाते हुए पांव से हाथ नहीं मिला सकते हैं. वास्तविक दुनिया, अपने कंधे उचकाती है और दूसरा इंतजाम कर लेती है.

।। एमजेअकबर ।।

Undefined
भुलावों से भरी विदेश नीति 2

वरिष्ठपत्रकार

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें