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सबक लेना जरूरी

भारतीय क्रिकेट टीम अपनी धरती पर न तो पहली बार हारी है, न ही आखिरी बार. लेकिन, दक्षिण अफ्रीका की टीम के हाथों मिली शर्मनाक पराजय को यह कह कर भुलाया नहीं जा सकता कि खेल में हार-जीत का सिलसिला तो लगा ही रहता है. पांचवें एकदिवसीय मैच में दक्षिण अफ्रीका से हुई बड़ी हार […]

भारतीय क्रिकेट टीम अपनी धरती पर न तो पहली बार हारी है, न ही आखिरी बार. लेकिन, दक्षिण अफ्रीका की टीम के हाथों मिली शर्मनाक पराजय को यह कह कर भुलाया नहीं जा सकता कि खेल में हार-जीत का सिलसिला तो लगा ही रहता है. पांचवें एकदिवसीय मैच में दक्षिण अफ्रीका से हुई बड़ी हार कई वजहों से ऐतिहासिक कही जा सकती है.
रनों के लिहाज से देखें, तो यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी हार है. पंद्रह साल पहले शारजाह में श्रीलंका ने भारत को 245 रनों से हराया था. दूसरे, महेंद्र सिंह धौनी की कप्तानी में यह भारत की अब तक की सबसे बड़ी पराजय है. इस हार के साथ कुछ अन्य कीर्तिमान भी जुड़े हैं.
इससे पहले दक्षिण अफ्रीका भारत में एकदिवसीय मैचों की चार सीरिज हार चुका था, एक में निर्णय न हो सका था. लेकिन, वानखेड़े स्टेडियम के इस नतीजे के साथ तसवीर बदल चुकी है. दक्षिण अफ्रीका में भारत अब तक कोई भी वन डे सीरिज नहीं जीत सका है, लेकिन अब कहा जा सकेगा कि दक्षिण अफ्रीका ने जरूर भारत में एक सीरिज पर अपनी जीत की मोहर लगा दी है.
टी-ट्वेंटी और एकदिवसीय मैचों में विश्वविजेता रही भारतीय क्रिकेट टीम के लिए इस पराजय से सबक लेने का यह एक अच्छा मौका है, लेकिन भारतीय क्रिकेट के सिरमौर रह चुके खिलाड़ियों की टीका-टिप्पणियों के शोर के बीच यह मौका भी हाथ से फिसलता प्रतीत हो रहा है. शतकवीर रह चुके सुनील गावस्कर को लगता है कि सारा दोष धौनी का है, क्योंकि उन्होंने थोक में रन दे रहे गेंदबाजों के रोटेशन के मामले में लचीला रुख नहीं अपनाया. धौनी को लगता है कि देश में ऑलराउंडरों की कमी है, लगातार अच्छे प्रदर्शन के लिए स्थिर और संतुलित टीम चाहिए.
टीम इंडिया के डायरेक्टर रवि शास्त्री को लगता है कि दोष पिच क्यूरेटर सुधीर नाइक का है, क्योंकि उन्होंने तीन स्पिनरों के हिसाब से टर्निंग पिच मांगा था, जबकि क्यूरेटर ने बैटिंग पिच बना दी. दूसरी ओर, संजय मांजरेकर और विनोद कांबली जैसे पूर्व क्रिकेटरों को लगता है कि दोष तो टीम इंडिया का है, पिच क्यूरेटर को क्यों दोषी ठहराया जा रहा है?
कुछ विश्लेषक ड्रेसिंग रूम की रार को इस पतन का कारण मानते हैं. लेकिन, हार के लिए ‘असली दोषी कौन’ की खोज में चल रही ऐसी बयानबाजियों के बीच मुख्य बात सिरे से गायब है. यह मुख्य बात भारतीय क्रिकेट के सारे पक्ष को एक में समेट कर हार की गहन समीक्षा करते हुए सही सबक लेने की है.

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