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खराब रिजल्ट पर मंथन की जरूरत

झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) ने सोमवार को मैट्रिक और इंटर ंसाइंस व कॉमर्स के नतीजे घोषित कर दिये. मैट्रिक में 71.20 प्रतिशत, इंटर साइंस में 63.9 प्रतिशत और इंटर कॉमर्स में 73.99 प्रतशित छात्र सफल हुए हैं. अगर रिजल्ट पर गौर करें, तो पिछले साल की तुलना में मैट्रिक के रिजल्ट में गिरावट आयी है. […]

झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) ने सोमवार को मैट्रिक और इंटर ंसाइंस व कॉमर्स के नतीजे घोषित कर दिये. मैट्रिक में 71.20 प्रतिशत, इंटर साइंस में 63.9 प्रतिशत और इंटर कॉमर्स में 73.99 प्रतशित छात्र सफल हुए हैं. अगर रिजल्ट पर गौर करें, तो पिछले साल की तुलना में मैट्रिक के रिजल्ट में गिरावट आयी है. जबकि इंटर साइंस में मामूली वृद्धि दर्ज की गयी है.
वहीं इंटर कॉमर्स में तो पिछले साल से भी खराब प्रदर्शन रहा. कुल मिला कर रिजल्ट उत्साहजनक नहीं कहा जा सकता. मैट्रिक के रिजल्ट की बात करें, तो यह पिछले साल की तुलना में खराब रहा. पिछले साल 75.30 प्रतिशत छात्र सफल हुए थे, लेकिन इस बार 71.20 छात्र सफल हुए. इतना ही नहीं सभी विषयों के रिजल्ट में भी गिरावट दर्ज की गयी. रिजल्ट अच्छा या खराब होने के कई कारण हो सकते हैं.
कई दलीलें दी जा सकती हैं. हो सकता है, कुछ वाजिब भी हों. लेकिन क्या दलीलों और कारणों पर यकीन कर छात्रों के भविष्य को छोड़ा जा सकता है. क्या रिजल्ट अच्छा हो, इसके लिए किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की जा सकती. आज सरकारी स्तर पर स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए तमाम प्रयास किये जा रहे हैं. मंशा है कि यहां के बच्चे अच्छा करें.
स्कूलों और कॉलेजों को तमाम सुविधाएं मिलें, इसके लिए अलग से बजट का प्रावधान है. बड़ा सवाल यह है कि इन तमाम सुविधाओं के बावजूद अगर रिजल्ट में सुधार नहीं हो रहा है, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
बहरहाल, इस वर्ष के रिजल्ट में कुछ अच्छे संकेत भी देखने को मिले हैं. टॉपर्स लिस्ट के टॉप थ्री में, जहां वर्षो से नेतरहाट स्कूल का दबदबा रहता था, इस बार पूर्वी सिंहभूम जिले के एक बहुत छोटे से गांव के छात्र ने इसे तोड़ा है. पोटका प्रखंड के कोवाली थानाक्षेत्र के विकास महाकुड़ ने टॉपर्स लिस्ट में प्रथम स्थान लाकर यह साबित कर दिया कि अगर लगन और ईमानदारी से प्रयास किया जाये, तो सफलता अवश्य मिलेगी.
इस बार रिजल्ट में कुछ ऐसे भी छात्र हैं, जिन्हें सफलता नहीं मिली होगी. ऐसे छात्रों को निराश होने की जरूरत नहीं है. असफलता ही सफलता की सीढ़ी है. अभी कई अवसर बचे हैं. जरूरत है हिम्मत और हौसला रखेन की. इतिहास गवाह है कि असफलता के बाद मिली सफलता बेजोड़ होती है.

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