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गाय सिर्फ आस्था का प्रश्न नहीं है
महाराष्ट्र सरकार द्वारा गोवंश की हत्या पर लगायी गयी पाबंदी और इसका उल्लंघन करने पर कठोर सजा का प्रावधान कुछ लोगों को नागवार गुजरा है. वे इसका विरोध भी कर रहे हैं. लेकिन हमें यह भी सोचना चाहिए कि गो-हत्या से हमें क्या फायदा मिल रहा है? गाय हमारे लिए पूजनीय है. वह इसलिए नहीं […]
महाराष्ट्र सरकार द्वारा गोवंश की हत्या पर लगायी गयी पाबंदी और इसका उल्लंघन करने पर कठोर सजा का प्रावधान कुछ लोगों को नागवार गुजरा है. वे इसका विरोध भी कर रहे हैं. लेकिन हमें यह भी सोचना चाहिए कि गो-हत्या से हमें क्या फायदा मिल रहा है?
गाय हमारे लिए पूजनीय है.
वह इसलिए नहीं कि वह हमारी आस्था और धर्म से जुड़ी है, बल्कि इसलिए कि उससे हमारा अर्थशास्त्र जुड़ा है. प्राचीनकाल से आज तक गाय हमारे लिए उपयोगी है.
यह बात दीगर है कि अब हमने गो-पालन छोड़ दिया है, क्योंकि उसके लिए हमारे पास माकूल इंतजाम नहीं हैं. देश के गांवों से चरागाह समाप्त हो रहे हैं और गायों को चरानेवाले चरवाहे नहीं मिल रहे हैं. तकनीकी वृद्धि ने बैलों की उपयोगिता को समाप्त कर दी है. यदि आज भी हम गो-पालन शुरू कर दें, तो गो-हत्या पर अपने आप प्रतिबंध लग जायेगा.
विवेकानंद विमल, मधुपुर
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