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बाजार की गिरफ्त में प्यार
बसंत के आगमन के साथ ही भारतीय युवाओं पर वैलेंटाइंस डे का बुखार चढ़ जाता है. इसके नाम पर पूरे एक सप्ताह में न जाने कितने डे मनाये जाते हैं. लव डे, प्रपोज डे, चॉकलेट डे आदि इस पर्व का हिस्सा हैं. बड़े तो बड़े, छोटे बच्चे भी इन दिवासों को अपनी अंगुली पर गिन […]
बसंत के आगमन के साथ ही भारतीय युवाओं पर वैलेंटाइंस डे का बुखार चढ़ जाता है. इसके नाम पर पूरे एक सप्ताह में न जाने कितने डे मनाये जाते हैं. लव डे, प्रपोज डे, चॉकलेट डे आदि इस पर्व का हिस्सा हैं. बड़े तो बड़े, छोटे बच्चे भी इन दिवासों को अपनी अंगुली पर गिन के रखते हैं.
बाजारों में इन दिनों को भुनाने के लिए विभिन्न तरह के तोहफों की भरमार होती है. हर कोई अपने ‘वैलेंटाइन’ को महंगे तोहफे देना चाहता है. जो जितना महंगा सामान देगा, वह उतना अधिक सच्च प्रेमी माना जायेगा. यह सब हमारे समाज में होना कितना जायज है, यह तो हमारे समाज के नीति-निर्धारक तय करेंगे, लेकिन मुङो तो आज तक प्रेम की परिभाषा ही समझ में नहीं आयी. प्रेम के नाम पर लोगों को ‘प्रपोज’ करने का ये कौन सा और कैसा तरीका है. यह लोगों का फूहड़पन नहीं तो और क्या है?
रीना कुमारी मुखी, जमशेदपुर
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