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क्रिकेट के अतीत की प्रेतछाया

एमजे अकबर प्रवक्ता, भाजपा हमें भूतों का स्वागत करना चाहिए. आखिर वे इस बात के सबूत हैं कि मौत के बाद भी जिंदगी होती है. इन घटनाओं से यही निष्कर्ष निकलता है कि भूतों में बदला लेने जैसे मानवीय गुण होते हैं, जिस कारण वे डरावने हो जाते हैं. मैं एक 26 वर्षीय पाकिस्तानी क्रिकेटर […]

एमजे अकबर
प्रवक्ता, भाजपा
हमें भूतों का स्वागत करना चाहिए. आखिर वे इस बात के सबूत हैं कि मौत के बाद भी जिंदगी होती है. इन घटनाओं से यही निष्कर्ष निकलता है कि भूतों में बदला लेने जैसे मानवीय गुण होते हैं, जिस कारण वे डरावने हो जाते हैं.
मैं एक 26 वर्षीय पाकिस्तानी क्रिकेटर हैरिस सोहैल के बारे में सोच रहा हूं, जिसने हाल में एक प्रेत देख लिया है और बहुत ही अधिक घबराया हुआ है. यह शरारती प्रेत किसी निर्जन जंगल, या किसी सुनसान किले से नहीं आया था, बल्कि न्यूजीलैंड के क्राइस्ट चर्च के एक अत्याधुनिक होटल के कमरे में नमूदार हुआ था, जहां पाकिस्तान टीम इस महीने होनेवाले विश्वकप की तैयारी के सिलसिले में दौरे पर थी. सोहैल का बिस्तर बहुत जोर-जोर से हिलने लगा. उसके साथी खिलाड़ी ने पाया कि उसे बुखार है. उसके खेल का फॉर्म खराब हो गया है. आइये, उम्मीद करें कि उसका कैरियर बच जाये.
ऐसी घटनाएं जिज्ञासा पैदा करती ही हैं. अगर भूत-प्रेत होते हैं, तो वे दिन में कहां गायब हो जाते हैं. ध्यान रहे, उस रात क्राइस्ट चर्च में कोई भूकंप नहीं आया था. भूत कभी चाय पीते समय टेबल क्यों नहीं उलटते? क्या धरती पर उनका बसेरा हमेशा-हमेशा के लिए है? क्या एक भूत ने सोते सोहैल को परेशान किया या सोहैल ने शांत पड़े प्रेत को उकसाया था? क्या भूत निजी रूप से किसी को तंग करते हैं? हो सकता है कि वे नास्तिकों को यह जताना चाहते हों कि मरने के बाद भी जीवन का अस्तित्व है.
लेकिन किसी भूत को युवा सोहैल को परेशान करने की क्या जरूरत, जो अन्य पाक खिलाड़ियों की तरह ही धार्मिक होगा? पहले से ही आस्थावान को फिर से आस्थावान बनाने की क्या जरूरत है?
क्या हमें संशयी होना चाहिए? अगर आदम के जमाने से हुई मौतों के हिसाब से देखें, तो आकाश और होटल के कमरे भूतों से भरे पड़े होंगे, न कि कहीं-कहीं भूत होंगे. अगर इस अवधारणा को मान भी लें कि प्रेत ऐसी भटकती आत्माएं हैं, जिन्हें वहां बहुत ऊपर बसे स्वर्ग में जगह नहीं मिल सकी है, तब भी इनकी संख्या बहुत बड़ी होनी चाहिए. भौतिकी के नियमों के आधार पर चाहे जो भी प्रायोगिक निष्कर्ष हों, बड़ी संख्या में लोग भूतों में भरोसा करते हैं.
मनुष्य की कल्पना और परी-कथाओं से लेकर शेक्सपियर तक के साहित्य में निश्चित रूप से वे हकीकत हैं. आप किसी भी धर्म को माननेवाले हों, आप यह जरूर मानते हैं कि मौत एक नये अस्तित्व का दरवाजा है. हर दरवाजा दो दिशाओं में खुलता है.
क्राइस्ट चर्च के रिजेज लैटिमेर प्रबंधन ने कहा कि उसे होटल में किसी ‘सक्रिय भूत’ के होने की जानकारी नहीं है. अगर वह बंद खिड़की से उड़ कर अंदर आया था, तो यह होटल की गलती नहीं है. खैर, इस घटना में हमारे लिए सबक यह है : भूतों और वकीलों से सावधान रहें. आप यह नहीं जान सकते कि कब कोई प्रेत या कोई मुकदमा आपके ऊपर सवार हो जाये. दोनों ही राष्ट्रों की सीमाओं से परे हैं.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछली जुलाई में इंग्लैंड के तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड ने अपना होटल कमरा बदल लिया था, क्योंकि बाथरूम का नल अपने-आप ही चलने लग जाता था. कल्पना की जा सकती है कि ब्रॉड ने पहले तो आकस्मिक, दूसरी बार संयोग समझ कर खारिज कर दिया होगा, पर तीसरी बार इसे एक संदेश समझा होगा : इस कमरे से निकल जाने में ही भलाई है.
और उसने ऐसा ही किया. अगर जुलाई से पहले ब्रॉड संशयवादी रहा होगा, तो अब वह निश्चित रूप से आस्तिक बन गया होगा. इस घटना की जांच करनी चाहिए थी कि कहीं नल को अच्छे प्लंबर से मरम्मत की जरूरत तो नहीं, या फिर कोई दूर बैठी शक्ति एक सीधे-सादे तेज गेंदबाज की रात खराब कर रही है.
एक दिलचस्प घटना रंगीन मकड़ी और किले की भी है. इंग्लैंड का कोई भी सम्मानित किला बिना किसी प्रेत के वास के नहीं होता, और इस कहानी का किला डरहम के चेस्टर ले स्ट्रीट पर स्थित था. एक दौरे में ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेटर शेन वॉटसन वहां ठहरा हुआ था. उस किले का भूत निकला और उसे डराने लगा. भयभीत वॉटसन साथी खिलाड़ी ब्रेट ली के कमरे की ओर भागा.
शांत ऑस्ट्रेलियन ली ने एक तकिया देते हुए वॉटसन को फर्श पर सो जाने के लिए कह दिया. सवाल है कि क्या क्राइस्ट चर्च, लंदन और डरहम के भूत अपना काम निपटा कर इन कमरों से गायब हो गये? क्या वहां अब भी लोग ठहरते हैं? शायद हां. कोई भी होटल भटकते भूत के लिए अपनी कमाई नहीं छोड़ देगा.
हमें भूतों का स्वागत करना चाहिए. आखिर वे इस बात के सबूत हैं कि मौत के बाद भी जिंदगी होती है. इन घटनाओं से यही निष्कर्ष निकलता है कि भूतों में बदला लेने जैसे मानवीय गुण होते हैं, जिस कारण वे डरावने हो जाते हैं. लेकिन, इसका अर्थ यह भी है कि बहुत सारे भूत क्रिकेट को बहुत पसंद करते हैं.
वे आकाशगंगा की पिचों पर खेलते हैं, और यह जानने के लिए नीचे आते हैं कि गेंद कैसे फेंका जाता है. उन्हें यह पता कैसे चल पाता, अगर वॉटसन, ब्रॉड या सोहैल सोते रहते? इसलिए, उन्होंने बिस्तर या फर्श को थोड़ा हिला दिया. यह तो बस इतनी सीधी-सी बात है. है कि नहीं!
(अनुवाद : अरविंद कुमार यादव)
Prabhat Khabar Digital Desk
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