।। निशिरंजन ठाकुर ।।
(प्रभात खबर,भागलपुर)
सर्वशक्तिमान का लहराती पताका… 2
गतांक से आगे…
यमराज का असमंजस थोड़ा बढ़ा, लेकिन उन्होंने कहा- जब समस्या खड़ी हो गयी है तो एक बार चाहूंगा कि सर्वशक्तिमान इस पर ध्यान दें. शायद कोई ऐसा हल निकल आये, जो सर्वमान्य हो. सभी की संतुष्टि हो. आखिर वह सर्वशक्तिमान हैं. अखिल ब्रह्मांड की गतिविधि उन्हें देखनी होती है. और फिर उनके निर्णय का कौन इनकार करेगा? सर्वशक्तिमान से आसान नहीं था मिलना.
बड़ी मुश्किल से महीनों बाद का अप्वाइमेंट मिल पाया. उनके पास भी कई समस्याएं थीं. बड़ी-बड़ी समस्याएं. देश, विदेश और विश्व की समस्याएं. ब्रह्मांड और अंतरिक्ष की समस्याएं. छोटी समस्याओं को लेकर तो उनसे मिला ही नहीं जा सकता था. खैर यमराज के अप्वाइटमेंट का प्रार्थना पत्र भेज दिया गया. बहुत सारी औपचारिकताएं पूरी होते-होते चार-छह महीने तो ऐसे ही बीत गये. लेकिन सर्वशक्तिमान तो पूरे जगत के पालक हैं. सकल चर-अचराचर जीवों का उनको ध्यान रखना पड़ता है.
वैसे भी ईश्वर के घर में देर है, अंधेर नहीं है. आखिर में यमराज को मिलने का मौका दिया गया. यमराज मिले भी ईश्वर से. सर्वशक्तिमान और यमराज के बीच क्या बातचीत हुई, इसका ब्योरा नहीं मिल पाया. ये ब्योरा मिले भी कैसे. वहां और किसी को जाने की अनुमति नहीं होती. वहां की बातचीत आप रिकार्ड नहीं कर सकते. यमराज वापस निकलने के बाद यमलोक पहुंचे. यमदूत बातचीत के रिजल्ट का शिद्दत से इंतजार कर रहे थे.
यमराज के स्वर कुछ बदले-बदले थे. उन्होंने यमदूतों से कहा – आपकी बात खुद सर्वशक्तिमान ने बड़ी गंभीरता से सुनी है. उन्होंने इसके यथोचित समाधान का आश्वासन भी दिया है. लेकिन इसमें समय लगेगा. एक झटके में पूरा सिस्टम नहीं चेंज हो सकता. धरती, सूर्य, पृथ्वी सभी अपनी लीक पर चल रहे हैं. यह हमलोगों की लीक है. दूसरा परिपथ बनने में समय लगेगा. तब तक इंतजार…
कुछ दिन और बीत गये. महीने साल में बदल गये. आज भी यमदूत लोगों के प्राण हरते हैं. चित्रगुप्त के साथ यमराज उनका हिसाब-किताब रखते हैं. देवलोक के तेज-तर्रार आला अधिकारी के सामने फाइलों का ढेर बढ़ गया है. लेकिन उनकी लगन और इच्छाशक्ति में आज भी कोई कमी नहीं आयी है. सब लोग पूरे मनोयोग से अपने-अपने काम निबटाते हैं. अधिकारी भी फाइलों को निबटाने में व्यस्त हैं. सर्वशक्तिमान का रह-रह कर जयकारा लगता है. कहते हैं उनका विजय रथ बड़ी तेजी से बढ़ रहा है. कुछ और नये सूबे उनकी राज्य सीमा में आ गये हैं. विजय पताका अभी भी लहरा रही है. यमदूत इस आस में हैं कि जल्द ही उनकी समस्या का समाधान होगा. तब तक तो सब कुछ चल रहा है अपनी लीक पर. अपने परिपथ पर.