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सीएनटी एक्ट में संशोधन करना गलत
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी वर्ष 1988 में रांची के मोरहाबादी मैदान में आये थे. आदियों के प्रतिनिधिमंडल ने उनसे मांग की थी कि आदिवासियों की एक लाख एकड़ से अधिक जमीन गैर आदिवासियों के चंगुल में है, इसे सीएनटी एक्ट के तहत वापस कराया जाये. तब राजीव गांधी ने घोषणा की थी कि आदिवासियों […]
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी वर्ष 1988 में रांची के मोरहाबादी मैदान में आये थे. आदियों के प्रतिनिधिमंडल ने उनसे मांग की थी कि आदिवासियों की एक लाख एकड़ से अधिक जमीन गैर आदिवासियों के चंगुल में है, इसे सीएनटी एक्ट के तहत वापस कराया जाये. तब राजीव गांधी ने घोषणा की थी कि आदिवासियों को उनकी जमीनें वापस मिलेंगी.
बाद में उनकी हत्या कर दी गयी और लोगों का सपना अधूरा रह गया. बीते 14 सालों से झारखंड के गठन के बाद से यहां आदिवासियों के बीच से ही मुख्यमंत्री बनते रहे हैं. फिर भी इसमें कोई सुधार नहीं हुआ है. आज हेमंत सोरेन सीएनटी एक्ट को कड़ाई से लागू कराना चाहते हैं. प्रभात खबर में समाचार भी प्रकाशित हुआ है. आदिवासियों की मांग है कि सीएनटी और एसपीटी एक्ट कड़ाई से लागू हो और आदिवासियों को हक मिले.
रामावतार भगत, हजारीबाग
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