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‘सौ दिन’ से निकले सकारात्मक संकेत

‘अच्छे दिन आनेवाले हैं’ के नारे के साथ जब सौ दिन पहले केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी थी, लोगों ने अपनी-अपनी सोच एवं विचारधारा के आधार पर इसके मायने निकालते हुए संभावनाएं तथा आशंकाएं जतायी थीं. उदारीकरण के समर्थकों को उम्मीद थी कि मोदी आर्थिक सुधारों की गति तेज करेंगे, मतदाताओं […]

‘अच्छे दिन आनेवाले हैं’ के नारे के साथ जब सौ दिन पहले केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी थी, लोगों ने अपनी-अपनी सोच एवं विचारधारा के आधार पर इसके मायने निकालते हुए संभावनाएं तथा आशंकाएं जतायी थीं.

उदारीकरण के समर्थकों को उम्मीद थी कि मोदी आर्थिक सुधारों की गति तेज करेंगे, मतदाताओं की बड़ी संख्या महंगाई और बेरोजगारी से निपटने के त्वरित उपायों की आशा में थी, और मोदी-विरोधी आशंकित थे कि सांप्रदायिकता की राजनीति को बढ़ावा मिलेगा, विरोधियों पर अंकुश लगाया जायेगा और सरकार का चरित्र अधिनायकवादी होगा.

नयी सरकार के पहले सौ दिनों में न तो ये सभी उम्मीदें पूरी हुईं और न ही आशंकाएं. लेकिन, यह तथ्य मोदी की व्यावहारिक सोच व सकारात्मक दृष्टिकोण का परिचायक है. सरकार के पहले बजट की आलोचना करनेवाले भले ही उसे यूपीए के बजट की कॉपी बताते रहे, परंतु उसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को लेकर एक स्पष्ट नीति है. देश में गरीब-वंचितों और निम्न मध्यम वर्ग के लिए सरकारी संरक्षण बड़ी जरूरत है. इसी के मद्देनजर सरकार ने विश्व व्यापार संगठन के उन समझौतों पर हामी भरने से इनकार कर दिया, जो देश के किसानों और गरीबों के हितों के लिए नुकसानदेह थे. पड़ोसी देशों की ओर दोस्ती और सहयोग का हाथ बढ़ा कर मोदी ने उन लोगों की शंकाओं का निवारण कर दिया है, जिन्हें लगता था कि यह सरकार दक्षिण एशिया में दबाव की राजनीति करेगी.

इसी तरह ब्रिक्स को प्रभावी बनाने की पहल वैश्विक राजनीति में अपने हितों की मजबूत पैरोकारी का सबूत है. संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के युद्धोन्मादी रवैये की निंदा से भी भारत ने परहेज नहीं किया. रक्षा के क्षेत्र में अनिर्णय की स्थिति को बदलते हुए सेनाओं की बेहतरी की कोशिशें की जा रही हैं. जन-धन योजना के जरिये गरीबों को अर्थ-तंत्र से जोड़ने की व्यापक मुहिम ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे का अमलीजामा है. रोजगार का सवाल उद्योगों और निर्माण की बढ़ोतरी से जुड़ा है, इसके लिए अभी समय व सही दिशा की दरकार है. इसीलिए मोदी ने अपना ध्यान निवेश पर केंद्रित किया है. ऐसे में मोदी सरकार के सौ दिन पर यह कहना गलत नहीं होगा कि आगाज एक बेहतर कल की ओर इशारा कर रहा है.

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