संतोष उत्सुक
वरिष्ठ व्यंग्यकार
santoshutsuk@gmail.com
लोकप्रिय विकासजी की अनेक राष्ट्रीय योजनाओं के तहत पूरे देश में नभ, जल व थल मार्गों का निर्माण जारी है. कुछ ऐसे मार्ग भी हैं, जिनके बारे में आज तक संजीदगी से विचार नहीं हो सका है. हमारे यहां जिंदगी की शुरुआत से ही समाजसेवकों, गुरुओं, नेताओं व मंत्रियों के माध्यम से किसी न किसी महापुरुष के पदचिह्नों पर चलने का नैतिक आह्वान किया जाता है.
हर किसी को अपने मार्ग पर चलने के लिए मजबूर कर देनेवाले, अवसरानुसार अपने भाषणों में भारतवासियों को राम, गांधी, आंबेडकर, बुद्ध और अन्यों के नाम पर चलने की संजीदा सलाह देते हैं. वक्त आ गया है कि अब एक जगह ही सभी मार्ग बना दिये जायें- जैसे बाबा मार्ग, गुरु मार्ग, महागुरु मार्ग.
यह मार्ग समाज में बिखरे पाॅलीथिन, प्लास्टिक व कचरे को इकट्ठा कर बनाये जा सकते हैं. कोई भी नागरिक जब चाहे मनपसंद मार्ग पर टहल सकता है. अपनी पत्नी को भी ले जा सकता है, बच्चे कुछ देर के लिए मोबाइल छोड़ दें, तो उन्हें भी उस रास्ते पर चलना सिखा सकता है.
इस नयी विकसित जगह के पड़ोस में मार्केट बनने की संभावना भी उग सकती है. घूमने और गोलगप्पे खाने के लिए एक नयी जगह हो जायेगी, पुरानी भीड़ वाली जगहों पर वैसे भी कोई जाना नहीं चाहता.
पैसे निकालने के लिए भविष्य में यहां किसी बैंक का एटीएम लग सकता है, फिल्हाल यह जगह नैतिक एटीएम की तरह सेवा उपलब्ध करवा सकती है, सातों दिन चौबीस घंटे जब चाहे यहां चलकर पुण्य कमा लो. मान लो रात को ठीक से नींद नहीं आयी, तो सुबह ब्रह्म मुहूर्त के अलार्म के साथ उठकर महात्मा बुद्ध मार्ग पर पंद्रह मिनट चल लो, फिर साथ ही बने गुरु या महागुरु मार्ग को भी निबटा लो. लंबी व गहरी सांस लेते हुए महसूस करो कि मैं सही मार्ग पर बढ़ रहा हूं, मेरे जीवन में सफलता और समृद्धि का प्रवेश हो रहा है.
इन सद्मार्गों के अंत में संबंधित बाबा, गुरु या महागुरु के पदचिह्न बनाये जाने चाहिए, जो बेहद नर्म रबड़ के हों, ताकि इन पर पांव रखते ही लगे कि हमारे पांवों का महापुरुष के पांव में समावेश हो गया है. एक संस्था इस स्थल को संचालित व नियंत्रित कर सकती है. एक साथ कई मार्ग व पदचिह्नों पर चलने के लिए एक के साथ आधा मुफ्त जैसे आॅफर दिये जा सकते हैं. हर क्षेत्र में यह सुविधा उपलब्ध होगी, तो निर्माण गतिविधियों को भी नयी गति मिलेगी.
आम आदमी समय की कमी के कारण अपनी जिंदगी का रास्ता भी भूला रहता है. इसलिए एक ही जगह अनेक पदचिह्नों व सद्मार्गों की उपलब्धता उसे मनपसंद महापुरुष के रास्ते पर चलाकर अनेक राष्ट्रीय समस्याओं का हल भी उपलब्ध करा सकती है.
जिस मोहल्ले में अराजकता, धार्मिक और राजनीतिक निरंकुशता, अमानवीयता, अविश्वसनीयता, अनैतिकता और कुप्रशासन जैसे नागरिक देशप्रेम के भजन गाते हुए महापुरुषों द्वारा बताये गये सद्मार्गों पर चलने का प्रवचन करते हों, वहां जिंदगी खूब चहक सकती है. हमारे राजनीतिज्ञों को इस बारे खासा अनुभव तो है ही.