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दोहरे रवैये की राजनीति
सदन में स्मृति ईरानी व अन्य महिलाओं ने राहुल गांधी के बयान पर जो गुस्सा जाहिर किया, वह कई नागरिकों को ठीक नहीं लगा. यह कड़वी हकीकत है कि राहुल गांधी के बयान पर इतना बवाल मचाने की बजाय महिला जनप्रतिनिधि स्मृति अगर कुलदीप सिंह सेंगर, चिन्मयानंद के प्रकरण पर सत्य के पक्ष में खड़ी […]
सदन में स्मृति ईरानी व अन्य महिलाओं ने राहुल गांधी के बयान पर जो गुस्सा जाहिर किया, वह कई नागरिकों को ठीक नहीं लगा. यह कड़वी हकीकत है कि राहुल गांधी के बयान पर इतना बवाल मचाने की बजाय महिला जनप्रतिनिधि स्मृति अगर कुलदीप सिंह सेंगर, चिन्मयानंद के प्रकरण पर सत्य के पक्ष में खड़ी होतीं, तो वह जनता में ज्यादा लोकप्रिय होतीं. सदन में उनका उग्र तेवर मीठा-मीठा गप-गप कड़वा-कड़वा थू-थू से ज्यादा कुछ नहीं लगा.
जब अपने ही दल-बल के लोग इस प्रकार से घेरे में आते हैं, तो मुंह बंद कर लिया जाता है और यही जब विपक्ष में होते हैं, तो चूड़ियां लेकर पहुंच जाते हैं. यह रवैया ही अपराधियों को संरक्षण देता है, लोगों में खौफ पैदा करता है. अगर अपने घर का आंगन टेढ़ा है, तो उसे सीधा करने का दायित्व इन जिम्मेदारों का ही है. तभी शुचिता आयेगी और कड़े फैसले लेने में हिचकिचाहट नहीं होगी.
हेमा हरि उपाध्याय, उज्जैन, मध्य प्रदेश
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