21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

किताबों के अच्छे दिन आने वाले हैं

।। शैलेश कुमार ।। प्रभात खबर, पटना सोनिया गांधी ने नटवर सिंह की किताब में खुद पर लगे आरोपों का जवाब देने के लिए किताब लिखने की घोषणा की है. पद से हटने के बाद किताब लिखने का फैशन सा बन चुका है, लेकिन सोनिया गांधी की ओर से पहली बार ऐसी घोषणा करना दर्शाता […]

।। शैलेश कुमार ।।

प्रभात खबर, पटना

सोनिया गांधी ने नटवर सिंह की किताब में खुद पर लगे आरोपों का जवाब देने के लिए किताब लिखने की घोषणा की है. पद से हटने के बाद किताब लिखने का फैशन सा बन चुका है, लेकिन सोनिया गांधी की ओर से पहली बार ऐसी घोषणा करना दर्शाता है कि दस साल तक कथित तौर पर सरकार चलाने के बाद अब उनके पास समय-ही-समय है.

चुनाव के समय से ही अलग-अलग किताबों में लेखकों ने उनके बारे में कुछ-न-कुछ ‘राजफाश’ किया है. इसलिए उन्होंने सोचा होगा कि अलग-अलग सबको जवाब देने की बजाय एक किताब ही क्यों न लिखी जाये? वैसे भी सत्ता से हटने के बाद कोई उपलब्धि हासिल करने की आस बची नहीं है, तो कम-से-कम किताब लिख कर आरोपों का जवाब देने के मामले में वे एक नये ट्रेंड की शुरुआत करनेवालों में तो गिनी जायेंगी.

वैसे सोनिया गांधी के इस कदम से नटवर सिंह और उन लेखकों के पसीने जरूर छूट रहे होंगे, जिन्हें अब अपनी प्रतिष्ठा बचाये रखने के लिए सोनिया की किताब का जवाब भी एक नयी किताब लिख कर ही देना होगा.

मीडियावालों की दौड़-धूप इससे थोड़ी कम जरूर हो जायेगी. एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करनेवालों की बाइट लेने के लिए बार-बार उन्हें यहां से वहां और वहां से यहां नहीं भागना होगा. पीएचडी करनेवालों को भी शोध के लिए एक नया विषय मिल जायेगा. किताब छपने के साथ ही वे विेषण करने में जुट जायेंगे कि किताबों के जरिये आरोप-प्रत्यारोप की पद्धति ज्यादा कारगर साबित हुई है या फिर पुराना तरीका ही बेहतर था.

हो सकता है कि किताबों की श्रेणी में दिये जानेवाले बुकर पुरस्कार में एक उपश्रेणी ‘बेस्ट रिप्लाइ बुक’ (सर्वश्रेष्ठ जवाबी किताब) भी जुड़ जाये.

पढ़े-लिखे नेताओं को तो यह नया ट्रेंड अपनाने में ज्यादा कठिनाई नहीं होगी, लेकिन उनका क्या होगा जिन्हें ठीक से हस्ताक्षर करना भी नहीं आता? चलो इसी बहाने कुछ लोगों को नेताओं के नाम से लिखने की नौकरी तो मिल जायेगी. वैसे इस नये कारोबार से प्रकाशकों की चांदी होनेवाली है. नेताओं के पास प्रकाशकों की भी लाइन लगी रहेगी. नयी-नयी पेशकश के साथ वे नेताओं के चक्कर काटते फिरेंगे.

कोई बड़ी छूट की पेशकश करेगा, तो कोई मिर्च-मसाला जोड़ने की पेशकश करेगा. कोई इसे ज्यादा-से-ज्यादा पाठकों तक पहुंचाने का दावा करेगा, तो कोई इसे सबसे ज्यादा बिकवा कर ज्यादा लाभ देने का. चलो कम-से-कम इसी बहाने नेताओं की कोई कमाई तो प्रत्यक्ष रूप से होगी. मीडियावालों के पास भी किताबों से जुड़ी खबरों में एक नया सेक्शन जुड़ जायेगा. किताब रिपोर्टर यह रिपोर्टिग करेंगे कि जवाब देने की कैटेगरी में कौन-सी किताब कहां आगे चल रही है. सच में नया ट्रेंड बड़ा ही रोचक होनेवाला है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें