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सेल-प्रधान विश्व करि राखा

आलोक पुराणिक वरिष्ठ व्यंग्यकार puranika@gmail.com चालू विश्वविद्यालय ने सेल विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया, इस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त निबंध इस प्रकार है-सेल-प्रधान विश्व करि राखा, जो जस बेचहू सो तस धन चाखा- कवि कहना चाह रहा है कि विश्व को सेल प्रधान बना दिया गया है, जिसने जैसा बेच लिया, उसे […]

आलोक पुराणिक

वरिष्ठ व्यंग्यकार

puranika@gmail.com

चालू विश्वविद्यालय ने सेल विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया, इस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त निबंध इस प्रकार है-सेल-प्रधान विश्व करि राखा, जो जस बेचहू सो तस धन चाखा- कवि कहना चाह रहा है कि विश्व को सेल प्रधान बना दिया गया है, जिसने जैसा बेच लिया, उसे उसी के हिसाब से धन का स्वाद मिल गया है.

वह स्टार, जिसे अभी अस्पताल से छुट्टी मिली है, टीवी पर लगातार बता रहा है कि उसकी सेहत का राज वह वाला टॉनिक है. यानी स्टार के पास सेहत हो या नहीं, पर बता जरूर रहा है कि वह कितना सेहतमंद है और सेहत का राज उस टॉनिक में छिपा है.

खबरें बता रही हैं कि स्टार सेहतमंद नहीं है, स्टार खुद बता रहा है कि वह वाला टॉनिक पीकर सेहतमंद रहता है. खबरों को सच मानें या स्टार को सच मानें. यह एक बड़ा सवाल है. स्टार बीमार होकर आया है, पर कह रहा है कि वह सेहतमंद है, इसे भी सच मान लो. पब्लिक के पास मानने के अलावा कुछ न होता.

इन दिनों तमाम अखबारों, टीवी चैनलों, पम्फ्लेटों, पोस्टरों में मार मची हुई है और तमाम कंपनियां हुंकार मचायी हुई हैं कि पब्लिक के भले के लिए, पब्लिक के उद्धार के लिए, पब्लिक को सस्ता माल बेचने की प्रतिबद्धता के चलते सेल लग गयी है. लाखों का माल हजारों में दे रहे हैं, ले जाओ, ले जाओ. सेल का एक इश्तिहार बताता है कि साड़ी फैक्टरी के मालिक की सूरत में चार फैक्टरियां जल गयी हैं, सो उसे धंधा बंद करना पड़ रहा है. धंधा बंद करने से पहले वह आखिरी बार बहुतै सस्ते में सब माल बेच रहा है, ले जाओ, ले जाओ.

ये भाई कई सालों से फैक्टरियां जला रहा है और सस्ता माल बेच रहा है. फैक्टरियां जला कर पब्लिक की सेवा करनेवाले कारोबारी मूलत सेल-संत हैं.

सेल के जरिये विकट डिस्काउंट पर आइटम बेच कर ये संत पब्लिक की सेवा कर रहे हैं. पब्लिक नासमझ है, जो डिस्काउंट के आइटम, सेल के आइटम ना खरीद रही है. पब्लिक वाकई नासमझ है, तरह-तरह के महापुरुष संत लोग पब्लिक का भला करने के लिए आते हैं. पब्लिक उनसे अपना भला ही न करवाती.

दीपावली-दशहरा के मौसम में लगता है कि तमाम कारोबारी एकदम आमादा हैं सस्ता बेचने के लिए, सेल लगाकर माल निबटाने के लिए. बिल्कुल आत्मोसर्ग पर उतर आये हैं, सब कुछ लुटाकर ही जायेंगे, पब्लिक को सब कुछ देकर ही जायेंगे. ले लो ले लो, बहुत सस्ता एकैदम सस्ता.

हां, सेल के इस मौसम में प्याज सस्ता नहीं मिल रहा है. पब्लिक को असल में जिन आइटमों में सस्ताई चाहिए होती है, वो हर बार सस्ते नहीं मिलते. पब्लिक कहती है प्याज सस्ते दिलवाओ, सेल के इश्तिहार बताते हैं कि 68,000 का टीवी सिर्फ 67,500 में ले जाओ. सस्ता मिल रहा है, सो इसे ही ले जाओ. इस कहानी से हमें यह शिक्षा भी मिल सकती है कि जो आइटम सस्ते हों, उन्हें ही ले लेना चाहिए जरूरत क्या है, इस अप्रासंगिक सवाल पर विचार व्यर्थ है.

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