गैरमजरूआ जमीन बिहार सरकार की जमीन है. 1955 में बिहार में जमींदारी खत्म होने के बाद इस जमीन पर ग्रामीणों का कब्जा है. एक ऐसा ही मामला औरंगाबाद जिले के नबीनगर प्रखंड की हरिहर उरदाना का है.
यहां 583 एकड़ भूमि गैरमजरूआ मालिक खतियान में दर्ज है. 300 एकड़ भूमि में पहाड़ जंगल स्थित है, जो प्राचीन काल से है. बचे हुए 200 एकड़ भूमि में मनोहरी गांव के लोगों ने कब्जा कर रखा है. इनके पास जमीन से संबंधित जो कागजात हैं वह ठीक नहीं है. उस जमीन की रसीद भी नहीं कटती है.
1955 सरकार ने बंदोबस्त जमीन की मान्यता दी है. सरकार को ऐसी भूमि से कब्जा हटाना चाहिए. इसका उपयोग कल-कारखाना लगाने के लिए काम में लाया जा सकता है. कुछ लोग इसकी खरीद-बिक्री भी कर रहे हैं, जो गलत है.
प्रिंस कुमार सिंह, नबीनगर (औरंगाबाद)