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पारा शिक्षकों के प्रति दुराग्रह है
पिछली शिक्षक नियुक्ति से ही यह स्पष्ट हो गयी था की सरकार का कोई न कोई महकमा पारा शिक्षकों के प्रति दुराग्रह पाले हुए हैं, क्योंकि गैर पारा में उनकी स्वाभाविक नियुक्ति में खलल डाला गया, जिसे कोर्ट ने भी सुधारने को कहा है. सरकारी शिक्षक के रूप में नियुक्त होने के लिए आदर्श योग्यता […]
पिछली शिक्षक नियुक्ति से ही यह स्पष्ट हो गयी था की सरकार का कोई न कोई महकमा पारा शिक्षकों के प्रति दुराग्रह पाले हुए हैं, क्योंकि गैर पारा में उनकी स्वाभाविक नियुक्ति में खलल डाला गया, जिसे कोर्ट ने भी सुधारने को कहा है.
सरकारी शिक्षक के रूप में नियुक्त होने के लिए आदर्श योग्यता रखने करने वाले पारा शिक्षकों के लिए भी सरकार के पास कोई महत्व नहीं है, तो कम-से-कम इतना तो बता दिया जाना चाहिए कि वह कौन-सी डिग्री है, जिसे प्राप्त करने पर इस बार-बार के आंदोलन से छुटकारा मिल पायेगा? पारा शिक्षकों का इस तरह का दोहन आखिर कब तक किया जाता रहेगा?
चिंतनीय बात यह है कि अधिकतर पारा शिक्षक 15 वर्षों से बहुमूल्य योगदान देकर उम्र के उस पड़ाव पर खड़े हैं, जहां उन्हें अपने परिवार की अहम जिम्मेदारियों को पूरा करना है. अब समय की यह मांग है कि सरकार पारा शिक्षकों को गुमराह होने से बचाये और योग्यता के अनुरूप उन्हें न्याय प्रदान करें.
शेखर प्रसाद, सारठ
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