साहित्य की महत्ता व सुंदरता को शब्दों से बयां करना उतना ही मुश्किल है, जितना कि किसी व्यक्ति की इच्छा से परे होकर कला का प्रदर्शन करवा लेना.
साहित्य मन की सुंदरता होती है, जिसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है. साहित्य के भी कई एक भाग है और उनमें से एक है नाट्य कला. नाटक और समाज का संबंध 2500 वर्षों से चला आ रहा है.
यह एक ऐसा माध्यम है, जिसके द्वारा हम आसानी से अपनी भावनाओं व प्रतिक्रियाओं को प्रदर्शित करते हैं और इतना ही नहीं मनोरंजन के साथ-साथ अपनी समस्याओं का समाधान व भविष्य को लेकर सार्थक मंथन करते हैं. सदियों से चली आ रही नाट्य विद्या के साथ-साथ अपने समाज को प्रगति के पथ पर भी अग्रसर करते आये हैं और आज भी हम लोगों को जागरूक करने के लिए इसका प्रयोग करते हैं.
रोहित कुमार, रीगा (सीतामढ़ी)
