18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

खेल को रोजी-रोटी से जोड़ना होगा

खेल एक ऐसी कला है, जिसे बच्चे साथ लेकर जन्म लेते हैं, मगर हर बढ़ता कदम खेल मैदान की ओर नहीं जा पाता. माता-पिता, नाते-रिश्ते पढाई की चिंता करते हैं, मगर खेलों के प्रति रुचि नहीं दिखाते. ऐसी ही उदासीनता का नतीजा है कि विश्व के पटल पर हम कई छोटे देशों से पीछे दिखाई […]

खेल एक ऐसी कला है, जिसे बच्चे साथ लेकर जन्म लेते हैं, मगर हर बढ़ता कदम खेल मैदान की ओर नहीं जा पाता. माता-पिता, नाते-रिश्ते पढाई की चिंता करते हैं, मगर खेलों के प्रति रुचि नहीं दिखाते. ऐसी ही उदासीनता का नतीजा है कि विश्व के पटल पर हम कई छोटे देशों से पीछे दिखाई देते हैं.
हमारे देश के विद्वानों ने जीवन के सभी क्षेत्रों में अपने परचम लहराये हैं, तो भला खिलाड़ी ऐसा क्यों नहीं कर सकते? प्राचीन गुरुकुल में योद्धा और विद्वान एक साथ शिक्षित होते थे, जो एक मिसाल है. सरकारी प्रयास आबादी के ख्याल से नाकाफी हैं. ऐसे में ऊंचे मुकाम तक पहुंचने के लिए खेल को भी अन्य विधाओं की तरह मुख्य धारा में लाना होगा.
खेलों को रोजी-रोटी से जोड़ना होगा, ताकि खेल आम लोगों की अभिरुचि का विषय बन सके. बड़े पैमाने पर अच्छे खिलाडी पैदा करने के लिए जरूरी है कि राजनीति मुक्त संसाधनों के जाल बिछा दिया जाएं, जिसमें हर बच्चा अपना सुरक्षित भविष्य और समान अवसर ढूंढ सके.
एमके मिश्रा, रातू, रांची

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें