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डॉक्टरों की बहाली बढ़नी चाहिए

चिकित्सा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सेवा के मामले में अपने देश की स्थिति बेहद खराब है. 70 प्रतिशत आबादी ग्रामीणों की है, जिनको मूलभूत स्वास्थ्य सेवा नहीं मिल पाती है. सरकारी अस्पतालों में न अच्छा इलाज हो पाता है और न ही पूरी दवाई मिल पाती है. प्राइवेट इलाज महंगा हो गया है. सेंट्रल ब्यूरो […]

चिकित्सा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सेवा के मामले में अपने देश की स्थिति बेहद खराब है. 70 प्रतिशत आबादी ग्रामीणों की है, जिनको मूलभूत स्वास्थ्य सेवा नहीं मिल पाती है. सरकारी अस्पतालों में न अच्छा इलाज हो पाता है और न ही पूरी दवाई मिल पाती है. प्राइवेट इलाज महंगा हो गया है.
सेंट्रल ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंटेलिजेंस के शोध के मुताबिक नागरिकों के स्वास्थ्य पर खर्च करने के मामले में भारत बेहद पिछड़ा हुआ देश है. जीडीपी के अनुपात में सेहत पर खर्च करने के मामले में भारत अपने पडोसी देशों नेपाल, श्रीलंका और भूटान से भी काफी पीछे है. रिपोर्ट के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के हिसाब से भारत में डॉक्टरों की उपलब्धता न के बराबर है.
सबसे ज्यादा खराब स्थिति ग्रामीण इलाकों की है. डॉक्टरों के कमी के कारण लोगों का स्वास्थ्य की देखभाल नहीं हो पाती है. वैसे तो सरकार ने बहुत मेडिकल कॉलेज खोले हैं, लेकिन डॉक्टरों की बहाली सरकार का दुर्बल पक्ष रहा है. सरकार को स्वास्थ्य मामलों में खर्च बढ़ाना चहिए और डॉक्टरों के बहाली को बढ़ाना चाहिए.
निलेश मेहरा, मधुपुर

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