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केंद्र करे हस्तक्षेप

सरकार ने ईसाई धर्म अपना चुके आदिवासियों को आदिवासी मानने से इंकार कर दिया है, क्योंकि यह धर्म परिवर्तन का मामला है और आदिवासियों को मिलने वाली सुविधाओं से सरकार धर्म परिवर्तित लोगों को वंचित करना चाहती है. सच यह भी है कि काफी संख्या में आदिवासी हिंदू धर्म भी अपना चुके हैं. अगर ईसाई […]

सरकार ने ईसाई धर्म अपना चुके आदिवासियों को आदिवासी मानने से इंकार कर दिया है, क्योंकि यह धर्म परिवर्तन का मामला है और आदिवासियों को मिलने वाली सुविधाओं से सरकार धर्म परिवर्तित लोगों को वंचित करना चाहती है.
सच यह भी है कि काफी संख्या में आदिवासी हिंदू धर्म भी अपना चुके हैं. अगर ईसाई धर्म मानने वाले अब आदिवासी नहीं रह गये हैं, जो हिंदू धर्म अपनाने वाले भी आदिवासी नहीं रह सकेंगे. ऐसे में आदिवासी और भी अल्पसंख्यक हो जायेंगे तथा उनका आरक्षण का प्रतिशत 26 से घट कर सीधा 12 पर आ जायेगा. अगर ऐसा होता है, तो इसके वैसे आदिवासी नेता जिम्मेवार होंगे, जो सरकार से जुडे हैं.
इसके दूरगामी परिणाम होंगे, क्योंकि आने वाले समय में धर्मांतरित आदिवासियों की जमीन और संपत्ति सामान्य श्रेणी में आ जायेगी और सीएनटी एक्ट के दायरे से बाहर हो जायेगी. जाहिर है, इससे आदिवासी बर्बाद हो जायेंगे. वैसे सरकार का यह फैसला पूरी तरह से नासमझी भरा है. धर्म बदलने से जाति नहीं बदलती है. इसलिए भारत सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए.
अनमोल प्रकाश, रांची

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