।। पंकज कुमार पाठक।।
(प्रभात खबर, रांची)
आइपीएल के विस्फोटक बल्लेबाजो,
तुम्हारे चौके -छक्के मारने की रफ्तार इस देश में हो रहे घोटालों की रफ्तार से भी तेज है. तुम सब जिस तेजी से आइपीएल में रनों की संख्या बढ़ा रहे हो, उतनी तेजी से तो देश में महंगाई भी नहीं बढ़ रही है. तुम ‘चौकाखोरों-छक्केबाजों’ के चलते ही आइपीएल की पापुलेरिटी ने आइपैड-आइफोन को पीछे छोड़ दिया है. जैसे तुम गेंदबाजों की धुलाई करते हो, वैसा तो ‘टूथपेस्ट’ भी दांतों के कीटाणुओं की नहीं कर पाता.
फिर भी चीयरलीडरों के आग्रह पर तुम्हें पत्र लिख रहा हूं. तुम्हें शायद पता नहीं, लेकिन तुम्हारे हर चौके -छक्के पर उन्हें जोरदार ठुमके लगाने पड़ते हैं. चौका-छक्का लगते ही उन्हें करंट लग जाता है. वह तुम्हारे हर ‘शॉट’ पर ठुमके लगाती हैं और तुम ऐसे ‘नखरेबाज’ उन्हें एक नजर देखते तक नहीं. फिर क्या फायदा उनके ठुमकों का? चौका-छक्का तुम मारो, मैच तुम जिताओ और चीयरलीडर नाचें पब्लिक के लिए! जब सब काम तुमने किया, तो पब्लिक के सामने ठुमके भी तुम ही लगा दो. चीयरगल्र्स को बैठने के लिए कुरसी तक नहीं मिलती, पूरे मैच वो मैदान में खड़ी रहती हैं.
पेट की खातिर बेचारी कुछ नहीं बोलतीं. लेकिन तुम तो समझदार हो? दौड़-भाग कर एक -दो-तीन रन बनाओ, इससे उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. मामूली हिल-डुल कर वह अपना काम कर लेती हैं. लेकिन यार जरा सोचो, तुम तो खड़े-खड़े चौका-छक्का मार देते हो, अपनी जगह से हिले बिना गेंद को सीमा रेखा के पार भेज देते हो. तुम्हारा तो कुछ नहीं गया, लेकिन न चाहते हुए भी चीयरलीडरों को पूरे जोश में ठुमके लगाने पड़ते हैं. एक तो बेचारी पहले से कम कपड़े पहनती है, ऊपर से चौतरफा स्क्रीन और लाइव टेलीकास्ट का खतरा. उत्साही ठुमके में जरा-सा ऊंच-नीच हो गयी, तो इसका जिम्मेवार कौन होगा?
तुम ही न! जरा सोचो कि अगर इन उत्साही ठुमकों ने उन्हें पसीने-पसीने कर दिया और इससे उनके चेहरे का मेकअप उतर गया, तो फिर उन हसीनाओं (चीयरलीडरों) की क्या इज्जत रह जायेगी? तुम्हारी ही बिरादरी का कोई प्लेयर है, गेल. तुम्हें पता है, चीयरलीडर आइपीएल से पहले क्या प्रार्थना करती हैं? अपने भगवान को मनाते हुए कहती हैं, ‘‘हे भगवान! इस गेल को किसी तरह ‘जेल’ में ऐसा डलवाओ कि आइपीएल खत्म होने तक इसे ‘बेल’ न मिले. पता नहीं किस-किस का गुस्सा गेंदबाजों की हर गेंद पर उतारता है. ठुमकना हमको पड़ता है.’’ जिस दिन वह बैटिंग करता है, उस दिन चीयरलीडरों के कमर दर्द पर मूव भी बेअसर होता है. हे क्रूर बल्लेबाजो, इनकी हाय मत लो. कहीं अगल जन्म में तुम चीयरलीडर बन गये तो? क्रिकेट को ‘जेंटलमैन’ गेम ही रहने दो, ‘मेंटलमैन’ गेम मत बनाओ. धन्यवाद.
-एक आइपीएल दर्शक