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तेजस्वी के लिए बड़ी चिंता हैं तेज प्रताप, सियासी कारण जानकर हैरान हो जायेंगे आप, पढ़ें

पटना : बिहार की राजनीति के मुख्य केंद्र में रहने वाले राजद सुप्रीमो लालू यादव इन दिनों चारा घोटाला मामले में जेल में बंद हैं. लालू की सियासत शुरू से जातिगत समीकरण के इर्द-गिर्द घूमती रही और उनके चाहने वालों ने भी इसका समर्थन किया. लालू देखते ही देखते बिहार के सबसे बड़े सियासी परिवार […]

पटना : बिहार की राजनीति के मुख्य केंद्र में रहने वाले राजद सुप्रीमो लालू यादव इन दिनों चारा घोटाला मामले में जेल में बंद हैं. लालू की सियासत शुरू से जातिगत समीकरण के इर्द-गिर्द घूमती रही और उनके चाहने वालों ने भी इसका समर्थन किया. लालू देखते ही देखते बिहार के सबसे बड़े सियासी परिवार बन गये और राजनीति में पत्नी राबड़ी देवी से लेकर बेटी और अब दोनों बेटे भी सक्रिय हो गये. फिर भी, वक्त वे वक्त लालू के समर्थकों ने वहीं अपनी मुहर लगायी, जहां लालू की इच्छा हुई. आज भी लालू के चाहने वाले उनके नक्शे कदम पर चलने वाले नेताओं को ही पसंद करते हैं. लालू के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव की स्टाइल और बोलने का अंदाज, सार्वजनिक मंच पर शंख बजाकर विरोधियों को चैलेंज करने का अंदाज उन्हें भाता है.

तेज प्रताप यादव गाहे-बगाहे कभी राज मिस्त्री का रूप धरकर, कभी पिज्जा बनाकर, कभी जलेबी बनाकर और कभी बांसुरी बजाकर लोगों के बीच चर्चा का विषय बने रहते हैं. तेज प्रताप यादव मंच पर जिस तरह से बेलाग बोलते हैं और जिस तरह अपने पिता का बात-बात में हवाला देते हुए, विरोधियों पर निशाना साधते हैं, कहीं न कहीं लालू समर्थक उसी में अपने भविष्य के नेता की छवि देखते हैं. दूसरी ओर तेजस्वी यादव थोड़े गंभीर हैं और संभलकर अपनी बात रखते हैं. राजनीतिक जानकारों की मानें, तो तेजस्वी यादव के लिए यह बहुत बड़ी चिंता का विषय है. तेजस्वी यादव एक तरफ जहां इस बात से चिंतित हैं कि विरोधी जल्दी बाजी में विधानसभा चुनाव कराना चाहते हैं और उधर उनके पिता लालू यादव जेल में हैं. इसे लेकर तेजस्वी यादव ने बयान भी दिया है कि नीतीश कुमार की बातों पर विश्वास न किया जाये, जैसे ही राज्यसभा की सीटों के लिए चुनाव संपन्न होगा, यह लोग विधानसभा चुनाव की तैयारी में लग जायेंगे. तेजस्वी ने सोमवार को मीडिया को यह कहा कि राजद भी चुनाव में उतरने के लिए पूरी तरह तैयार है और वह विरोधियों का डंटकर मुकाबला करेगी.

राजनीतिक प्रेक्षक यह मानते हैं कि चारा घोटाले में तीसरी बार लालू को सजा सुनाये जाने के बाद तेजस्वी के सामने वक्त से पहले चुनाव कराने की संभावना का डर बना हुआ है. लालू की ओर से राजनीतिक विरासत तेजस्वी को दिये जाने के बाद, तेजस्वी ने पार्टी की बागडोर संभालने की भरपूर कोशिश की है, साथ ही वह चौतरफा चुनौतियों से घिरे हुए नजर आ रहे हैं. उनमें सबसे बड़े चुनौती तेज प्रताप यादव भी हैं. तेज प्रताप अभी भले ठंडे दिख रहे हों, लेकिन वह अपने आप में एक बड़ी चुनौती हैं. तेजस्वी के लिए जैसे-तैसे समझा-बुझा कर मना लेना भले आसान हो, लेकिन तेज प्रताप की भी अपनी महात्वाकांक्षा है. तेजस्वी को मालूम है कि तेज प्रताप किसी बात की परवाह नहीं करते हैं. राजद समर्थकों का एक धड़ा तेज प्रताप में लालू की छवि देखता है. तेज प्रताप को नियंत्रित रखना भी तेजस्वी के लिए एक बड़ी चुनौती है.

तेजस्वी को लालू प्रसाद के लिए कानूनी लड़ाई भी लड़नी है और अपने खानदानी वोट बैंक को भी बचाना है. तेजस्वी अपना ध्यान हमेशा लालू यादव की कानूनी लड़ाई और बिहार में विरोधियों को जवाब देने पर लगाते हैं. वहीं दूसरी ओर तेज प्रताप कभी विवादास्पद बयान दे देते हैं, तो कभी प्रधानमंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक बयान. खाली समय में तेज प्रताप को कहीं किसी कार्यक्रम में देखा जा सकता है, वरना वह अपना ज्यादातर समय अपनी मर्जी से गुजारना पसंद करते हैं. तेजस्वी यादव को साफ लगता है कि वह पार्टी को राबड़ी देवी और राजद के वरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर संभाल लेंगे, लेकिन अपने बड़े भाई को संभालना उनके लिए मुश्किल साबित होगा. तेजस्वी इस बात को भी बखूबी जानते हैं कि तेज प्रताप अपनी मर्जी के मालिक हैं और उन पर किसी प्रकार का पार्टी का आदेश भी नहीं थोपा जा सकता. तेजस्वी को पता है कि विरोधी लालू यादव के वोट बैंक में सेंध लगाने की ताक में बैठे हैं. तेजस्वी हर फ्रंट पर अपने को आगे करके चल भी नहीं सकते, उन्हें तेज प्रताप के राजनीतिक सहयोग की जरूरत पड़ेगी, लेकिन फिलहाल तेज प्रताप का बिंदास पन ही तेजस्वी के लिए बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है.

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