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बिहार असली जदयू की लड़ाई : EC का फैसले के बाद शरद की जायेगी मेंबरी, छिनेगा बंगला

पटना : चुनाव आयोग के झटके के बाद शरद यादव की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. पार्टी से अलग राह चले शरद यादव की अब राज्यसभा की सदस्यता भी समाप्त होगी. उन्हें दिल्ली में आवंटित 7, तुगलक रोड का बंगला भी छिन जायेगा. लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव से परास्त होने के बाद एक बार […]

पटना : चुनाव आयोग के झटके के बाद शरद यादव की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. पार्टी से अलग राह चले शरद यादव की अब राज्यसभा की सदस्यता भी समाप्त होगी. उन्हें दिल्ली में आवंटित 7, तुगलक रोड का बंगला भी छिन जायेगा.
लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव से परास्त होने के बाद एक बार फिर शरद की हैसियत पूर्व सांसद की हो जायेगी. चुनाव आयोग ने शरद यादव के आवेदन को खारिज करने वाले फैसले की प्रति उन्हें उपलब्ध करा दी है. साथ ही इसकी एक प्रति स्पीड पोस्ट से जदयू के राष्ट्रीय महासचिव सांसद आरसीपी सिंह को भी भेज दियी है. फैसले में आयोग ने साफ लिखा है कि आप अपने आवेदन में लिखे बिंदुओं के पक्ष में कोई भी साक्ष्य देने में सफल नहीं हुए.
इसलिए आपके आवेदन को खारिज किया जाता है. शरद यादव की ओर से जावेद रजा ने 25 अगस्त को चुनाव आयोग को आवेदन देकर अपने गुट को असली जदयू बताते हुए चुनाव चिह्न पर दावा किया था. इसके जवाब में जदयू की ओर से सांसद आरसीपी सिंह की अगुआई में एक टीम ने सात सितंबर को आयोग की फुल टीम के समक्ष अपना पक्ष रखा था. जदयू ने उनके कार्यालय, लेटर हेड आदि के इस्तेमाल करने से मना किया है.
गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में मधेपुरा से पराजित हो जाने के बाद नीतीश कुमार ने शरद यादव को तुरंत राज्यसभा भेजा था. इसके बाद 2016 में जब पार्टी की झोली में राज्यसभा की दो सीटें आयीं, तो पहली सीट शरद यादव को दी गयी. दूसरे पर आरसीपी सिंह निर्वाचित हुए.
ब जदयू की सूचना पर राज्यसभा सचिवालय ने उन्हें नोटिस भेजा है. सात दिनों में उन्हें जवाब देना है कि क्यों उनकी सदस्यता समाप्त नहीं की जाये? राज्यसभा के सभापति उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुए, तो तत्काल उनकी सदस्यता समाप्त करने की अधिसूचना जारी हो जायेगी.
जानकार बताते हैं कि संविधान की 10वीं अनुसूची के प्रावधानों के तहत राज्यसभा के सभापति के आदेश को किसी भी अदालत मेंं चुनौती नहीं दी जा सकती. शरद यादव के साथ ही पार्टी के दूसरे बागी सांसद अली अनवर को भी राज्यसभा सचिवालय ने नोटिस दिया है. इधर, चुनाव आयोग के ताजा फैसले के बाद जदयू ने शरद यादव पर खुद से इस्तीफा देेने का भी दबाव बनाया है.
इसके पहले राष्ट्रीय स्तर पर इनकी गयी है मेंबरी
पार्टी से विद्रोह करने के मामले में राज्यसभा ने इसके पहले कई सांसदों की सदस्यता उनकी पार्टी के अनुरोध पर समाप्त की है. पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने जब जनमोर्चा बनाया था, तो उस समय कांग्रेस के राज्यसभा सांसद मुफ्ती मुहम्मद सईद और सतपाल मलिक जनमोर्चा के साथ हो लिये थे. कांग्रेस ने इसे स्वेच्छा से दल त्याग बताते हुए राज्यसभा के सभापति से उनकी सदस्यता समाप्त करने का अनुरोध किया.
इस पर दोनों की सदस्यता समाप्त कर दी गयी. इसके बाद बिहार के कैप्टन जय नारायण निषाद भाजपा के टिकट पर राज्यसभा सदस्य बने थे. बाद में बेटे के लिए विधानसभा के टिकट की चाहत में वह राजद की सभाओं में दिखने लगे. इस पर भाजपा की सिफारिश पर कैप्टन निषाद की सदस्यता समाप्त कर दी गयी थी. इसी प्रकार बसपा के सांसद किशन सिंह की सदस्यता भी समाप्त हो चुकी है.
स्वेच्छा से दल त्याग करने पर विधान परिषद से भी गयी इनकी गयी है मेंबरी राज्य में इसी प्रावधान के तहत पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह, महाचंद्र प्रसाद सिंह, सम्राट चौधरी और मंजर आलम की विधान परिषद की सदस्यता समाप्त हो चुकी है.
ये नेता स्वेच्छा से दूसरे दल के साथ अपने को जोड़ते हुए राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होते रहे. जदयू ने जब उन्हें नोटिस दिया, तो इसका सटीक जवाब भी नहीं दिया. इसके बाद जदयू ने चारों की सदस्यता समाप्त करने के लिए विधान परिषद के सभापति से अनुरोध किया, जिस पर सभापति ने सबकी सदस्यता समाप्त कर दी.
लेटर हेड का उपयोग किया तो कानूनी नोटिस : त्यागी
जदयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि शरद यादव और अली अनवर अब भी पार्टी कार्यालय, लेटर हेड और पद का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. यदि ऐसा नहीं रुका, तो पार्टी उन्हें कानूनी नोटिस जारी करेगी.
तत्काल इस्तीफा दें शरद : आरसीपी
शरद यादव का झूठ सामने आ गया है. उनकी अर्जी खारिज हो गयी है. उन्हें तत्काल इस्तीफा करना चाहिए. पार्टी ने उनके साथ पूरी ईमानदारी बरती. जब-जब वह लोकसभा चुनाव हारे, उन्हें राज्यसभा भेजा गया.
10 साल तक पार्टी के अध्यक्ष रहे. जब अध्यक्ष बने थे, तो जदयू अनेक राज्यों में मजबूत था. आज पार्टी की मान्यता सिर्फ बिहार में रह गयी है. शरद राज्यसभा के सदस्य हैं और उनके वोटर विधायक हैं. जब सभी विधायकों ने कहा कि राजद से रिश्ता तोड़ लेना चाहिए, तो शरद जी ने इसका विरोध करते हुए भ्रष्टाचार में डूबी पार्टी के साथ हो लिये.

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