इस्लामाबाद : आतंकियों का पनाह देने वाले पाकिस्तान में मौत मंजर देखने को मिल रहा है. यह एेसा मंजर है, जो आतंकवादियों की गोलियों से भी ज्यादा खतरनाक है. एक बार के लिए तो आतंकियों की गोली लगने के बाद लोगों के बचने की थोड़ी उम्मीद बाकी रहती है, मगर यह एेसी आपदा है, जो बिना किसी आवाज के लोगों की जान ले रही है. बीते कई हफ्तों से पाकिस्तान के कई इलाकों में फैले स्मॉग ने हजारों लोगों की जान ले ली है, जो आतंकवादी घटनाओं से मरनेवालों की संख्या से भी ज्यादा है.
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हाल के दिनों में इस्लामाबाद में फैली प्रदूषित हवा इस हफ्ते हुई बारिश से थोड़ी बेहतर हुई है, लेकिन स्थिति अब भी चिंताजनक है. लाहौर में स्थिति सबसे गंभीर है. मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, पाकिस्तान एयर क्वॉलिटी के मुताबिक, यहां पीएम 2.5 का स्तर बुधवार को कम होकर 1000 से 159 पर पहुंचा है. सबसे बुरा वह यह है कि 159 भी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए सुरक्षित सीमा से 6 गुना ज्यादा है.
चीन और भारत के बाद पाकिस्तान पहले से ही प्रदूषण की वजह से जान गंवाने वाले लोगों के मामले में तीसरे नंबर पर है. गेट्स फाउंडेशन के रिसर्च इंस्टिट्यूट के आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान में हर साल 1 लाख 25 हजार लोग प्रदूषण की वजह से मर रहे हैं. बता दें कि आतंकी गतिविधियों की वजह से 60 हजार लोगों की मौत हुई है.
पाकिस्तान में विपक्षी पार्टी की सांसद शैरी रहमान ने एक अखबार में लिखा कि मैं आतंकवाद की वजह से हो रही मौतों को कम कर के नहीं आंक रही, लेकिन हमें समझना होगा कि हमारे नागरिकों को जमीनी स्तर पर हथियारबंद आतंकियों से ज्यादा प्रदूषण से खतरा है. हमें एक्शन लेना होगा.
पंजाब प्रांत के स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, हाल के हफ्तों में स्मॉग बढ़ने से प्रांत के 9 सरकारी अस्पतालों में रोजाना 1 हजार मरीज सांस की बीमारी लेकर पहुंच रहे हैं. हालांकि, अभी भी पाकिस्तान सरकार इस समस्या के समाधान को लेकर सक्रिय नहीं दिख रही है. लाहौर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सैयद मंसूर अली शाह ने फटकारते हुए कहा कि जब आप जानते हैं कि स्मॉग गर्भवती महिलाओं, वृद्धों और दिल के मरीजों के लिए खतरनाक है, तब भी आपने रेड अलर्ट जारी क्यों नहीं किया?’
पाकिस्तान एयर क्वॉलिटी के संस्थापक और उद्यमी आबिद ऊमर कहते हैं कि पेइचिंग प्रदूषण से निपट रहा है और नयी दिल्ली जो कम से कम अपने नागरिकों के लिए अलर्ट जारी कर रहा है, उनसे उलट पाकिस्तानी अधिकारी अभी तक जगे ही नहीं हैं. पर्यावरण सूची के आखिर में है.

