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मूडीज की रिपोर्ट : भारत को अगले साल राजनीतिक जोखिम का करना पड़ सकता है सामना

नयी दिल्ली : भारत जैसी तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में अगले साल भी अपनी मौद्रिक नीतियों में सख्ती बने रहने की उम्मीद है. रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने मंगलवार को यह बात कही. मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत और इंडोनेशिया जैसे देशों में बाहरी और घरेलू मोर्चे पर चुनौतियों के बावजूद […]

नयी दिल्ली : भारत जैसी तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में अगले साल भी अपनी मौद्रिक नीतियों में सख्ती बने रहने की उम्मीद है. रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने मंगलवार को यह बात कही. मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत और इंडोनेशिया जैसे देशों में बाहरी और घरेलू मोर्चे पर चुनौतियों के बावजूद मौजूदा रफ्तार के आस-पास ही वृद्धि होने की उम्मीद है.

इसे भी पढ़ें : मूडीज की रिपोर्ट : 2022 तक 18 फीसदी तक पहुंच जायेगा अक्षय ऊर्जा का हिस्सा

एजेंसी को उम्मीद है कि भारत, इंडोनेशिया, ब्राजील, तुर्की और अर्जेंटीना जैसी उभरते अर्थव्यवस्थाएं 2019 में भी मौद्रिक नीतियों में सख्ती करना जारी रखेंगे. एजेंसी ने कहा कि भारत को अगले साल होने वाले आम चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक जोखिम का सामना करना पड़ सकता है.

मूडीज ने 2018-19 के लिये अपने वैश्विक वृहत आर्थिक परिदृश्य में कहा कि 2018-19 में भारत की आर्थिक वृद्धि करीब 7.5 फीसदी के आस-पास रहने की उम्मीद है, क्योंकि यह कच्चे तेल की ऊंची कीमतों जैसे बाहरी कारकों को झेलने में काफी हद तक सक्षम है. जनवरी-मार्च तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.7 फीसदी पर थी और अप्रैल-जून तिमाही में यह बढ़कर 8.2 फीसदी पर पहुंच गयी.

एजेंसी ने कहा कि भारत को अगले साल होने वाले आम चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक जोखिम का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा, आर्थिक और रोजकोषीय सुधारों में अनिश्चितता आ सकती है. मूडीज का अनुमान है कि जी-20 समूह के देशों की वृद्धि 2018 में 3.3 फीसदी से गिरकर 2019 में 2.9 फीसदी रह सकती है.

मूडीज का मानना है कि जी-20 की विकसित अर्थव्यवस्थाओं की आर्थिक वृद्धि 2018 में 2.3 फीसदी से गिरकर 2019 में 1.9 फीसदी रह जायेगी. इसी प्रकार जी-20 में शामिल उभरती अर्थव्यवस्थाओं की सकल वृद्धि दर 2018 में पांच फीसदी से नरम पड़कर 2019 में 4.6 फीसदी रह सकती है.

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