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दुमका में बोले बाबूलाल : भ्रष्ट रघुवर दास इस्तीफा दें या राज्यपाल CM को बर्खास्त करें

आनंद जायसवाल दुमका : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोमवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री रघुवर दास और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जबर्दस्त हमला बोला. श्री मरांडी ने कहा कि झारखंड और देश की सरकार आज सवालों के घेरे में है. प्रदेश के मुख्यमंत्री के खिलाफ […]

आनंद जायसवाल

दुमका : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोमवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री रघुवर दास और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जबर्दस्त हमला बोला. श्री मरांडी ने कहा कि झारखंड और देश की सरकार आज सवालों के घेरे में है. प्रदेश के मुख्यमंत्री के खिलाफ उनके मंत्रिमंडल के एक सदस्य ने गंभीर आरोप लगाये हैं. नैतिकता के आधार पर सीएम को इस्तीफा दे देना चाहिए. यदि वह ऐसा नहीं करते हैं, तो राज्यपाल को झारखंड के मुख्यमंत्री को बर्खास्त कर देना चाहिए.

यहां पत्रकारों से बातचीत में श्री मरांडी ने झारखंड के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय को मुख्यमंत्री के खिलाफ आवाज उठाने के लिए बधाई दी. उन्होंने कहा, ‘सरयू राय को मैं बधाई देता हूं. गलत को गलत कहने के लिए.’ पूर्व सीएम ने कहा कि मुख्यमंत्री पर इतने आरोप लगे. उनमें थोड़ी-सी भी नैतिकता होती, तो वे इस्तीफा दे देते. यदि वे ईमानदार होते, तो उनके खिलाफ जितने भी आरोप लगे हैं, उन मामलों की जांच करवाते. लेकिन, उन्होंने ऐसा नहीं किया.

लूट के लिए बनी है सरकार

श्री मरांडी ने कहा कि झारखंड में लूट मची हुई है. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सरकार बनी ही है लूट के लिए. झारखंड की संपत्ति को लूटा जा रहा है. यहां की धन संपदा को लुटाया जा रहा है. श्री मरांडी ने कहा कि जितने भी वर्क्स डिपार्टमेंट हैं, वह चाहे पीडब्ल्यूडी हो, सड़क, बिल्डिंग या बिजली. सभी मंत्रालय मुख्यमंत्री के पास हैं. इन सभी विभागों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हो रही हैं. किसी से छिपा नहीं है.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भवन विभाग में जो गड़बड़ियां हुई हैं, सबने उसे देखा है. राज्य में निर्माण के लिए डीपीआर कुछ बनता है, प्रशासनिक स्वीकृति कुछ होती है. बाद में उसका खर्च बहुत ज्यादा हो जाता है. कई बार दो गुना से भी ज्यादा. श्री मरांडी ने कहा कि टेंडर में खास कंपनियों को उपकृत करने के लिए कई तरह के बदलाव कर दिये जाते हैं.

कंपनियों के फायदे के लिए बदले जा रहे कानून

टेंडर दे दिया जाता है. जैसे-जैसे काम आगे बढ़ता है, उसका खर्च डीपीआर कॉस्ट से दोगुना से भी ज्यादा हो जाता है. महालेखाकार (CAG) की जांच में यह सब गड़बड़ियां पकड़ी गयी हैं. खान विभाग में भी गड़बड़ियों की भरमार है. सचिव स्तर की कमेटी ने लीज को रद्द कर दिया. कह दिया कि इस कंपनी को लीज नहीं दी जा सकती. लेकिन, कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार मामले को कैबिनेट में ले आयी.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कैबिनेट में एक मंत्री ने इसका विरोध किया. प्रस्ताव पर दस्तखत करने से इन्कार कर दिया. बावजूद इसके, उस कंपनी को खनन की अनुमति दे दी गयी. श्री मरांडी ने कहा कि हजारों करोड़ रुपये खनन करने वाली कंपनियों पर बकाया हैं. कंपनियों ने खनन नियमों एवं शर्तों का उल्लंघन किया. इसके लिए उन पर भारी जुर्माना लगाया गया, लेकिन उसकी वसूली नहीं हो रही है. सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों से पैसे की वसूली करने के आदेश दिये. लेकिन, सरकार ने हाइकोर्ट को गुमराह किया.

जेवीएम सुप्रीमो ने कहा कि हर क्षेत्र में गड़बड़ी है. चार साल में सरकार ने जितने भी कायदे-कानून बनाये, सब कॉर्पोरेट कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए. किसानों, गरीबों मजदूरों के लिए कोई कानून नहीं बना. चाहे वह सीएनटी एक्ट में संशोधन हो, वर्ष 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन हो या गैरमजरुआ जमाबंदी रद्द करने का मामला.

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