देवघर : जिले की दवा दुकानों में जो दवाएं बेची जा रही है, वह कितनी गुणवत्तापूर्ण है, इसकी जांच के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है. पिछले दो साल में दवा के 25 सैंपल कलेक्ट किये गये. ये सैंपल अलमारी में रखे-रखे एक्सपायर हो गये. इन्हें जांच के लिए नहीं भेजा जा सका. दरअसल, जिले भर में सूचना के आधार पर ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा दुकानों की जांच-पड़ताल के दौरान 2015-16 तथा 2016-17 में जितनी भी दवाओं का सैंपल लिया गया था. उन दवाओं के सैंपल की जांच अबतक नहीं हो पायी है. इस कारण अब दवाइयां एक्सपायर हो गयी है. इसका फायदा दुकानदार उठा रहे हैं. कार्रवाई नहीं होने से उन्हें विभाग का डर नहीं रह गया है.
राज्य में सैंपल जांच की व्यवस्था नहीं : दवाओं के सैंपल जांच की व्यवस्था राज्य में नहीं है. एेसे में दवाओं की जांच के लिए विभाग को रीजनल ड्रग टेस्टिंग लेबोरेटरी गुवाहाटी या चेन्नई भेजना पड़ रहा है. जानकारी के अनुसार, इन लेबोरेटरी में राज्यों से महीने में पांच सैंपल ही लिया जाता है. यहां रूटीन टेस्टिंग लैब नहीं होने से यह परेशानी होती है.
वहीं विशेष परिस्थिति में दवाओं को सेक्रेटरी के आदेश पर कोलकाता जांच के लिए भी भेजा जाता है. जहां सैंपल की जांच करायी जाती है. जिसमें आयुर्वेदिक, होमियोपैथिक, कॉस्मेटिक, युनानी समेत अन्य दवाएं होती है. जानकारी के अनुसार, राज्य में एक लेबोरेटरी रांची के नामकुम में था, जो लगभग दो साल से बंद पड़ा हुआ है. इससे दवाइयों की जांच नहीं हो पा रही है.
जिले में 400 दवा दुकानें, ड्रग इंस्पेक्टर सिर्फ एक
जिले में दवाओं को बेचने के लिए कॉस्मेटिक, होमियोपैथिक, युनानी, आयुर्वेदिक की लगभग चार सौ दवा दुकानें है, लेकिन इन दुकानों की जांच के लिए जिले में मात्र एक ड्रग इंस्पेक्टर कार्यरत हैं. ऐसे में इतनी दवा दुकानों में दवा क्वालिटी की जांच किया जाना संभव नहीं है. वे जांच के लिए तब ही जाते हैं, जब कभी किसी तरह की सूचना मिलती है.
तभी दवाओं की जांच हो पा रही है. इसके बाद यदि दवा दुकानों के सैंपल को लिया जाता है, तो उस दवा के सैंपल की जांच होती है या नहीं, इसकी रिपोर्ट आती है या नहीं इसकी जानकारी भी नहीं हो पाती है. इसी का फायदा दवा दुकानदार उठा रहे हैं.
वर्ष 2015-16 व 2016-17 में लिया गया था दवाओं का सैंपल
देवघर में सैंपल ली गयी दवाएं एक्सपायर हो गयी है या नहीं, यह तो जांच करने के बाद ही कहा जा सकता है. ड्रग इंस्पेक्टर की कमी की जानकारी विभाग को दी गयी है. साथ ही समय-समय पर दवाओं का सैंपल कलेक्ट कर जांच की जाती है.
रितू सहाय, ड्रग कंट्रोलर, झारखंड
